गुजरात मे सरकार बदल गयी लेकिन दलित उत्पीड़न की घटनायें रूकने का नाम नही ले रही है। एक बार फिर एक गांव से दलितों पर हो रहे अत्याचार की खबर आई है। दलितों के 27 परिवारों को उन्हीं के गांव से निकाल दिया गया जो अब अपने गांव से 15 किलोमीटर दूर शरणार्थियों की तरह रहने पर मजबूर हैं।
सभी लोग दो साल पहले तक जिले के घदा नाम के गांव में रहते थे लेकिन अब ये 15 किलोमीटर दूर सोदापुर में रहने को मजबूर हैं। यहां इन लोगों के पास करने को कोई खास काम नहीं है और साथ ही साथ इनके बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई है। लोगों के मुताबिक, उनके गांव में छूआछूत इतने बड़े पैमाने पर है कि इसकी वजह से एक शख्स की जान तक ले ली गई थी। दलित परिवारों ने बताया कि छुआछूत से परेशान होकर उनके परिवार की लड़कियों के साथ-साथ लड़कों ने भी स्कूल जाना छोड़ दिया। उनके मुताबिक, स्कूल वहां से दूर था और स्कूल में भी उनके साथ भेदभाव होता था। बच्चे उनसे बोलने को तैयार नहीं होते थे।
9 साल पहले की घटना है। उनके परिवार में से रमेश नाम का एक लड़का था। 22 साल का रमेश पढ़ा-लिखा था। एक दिन वह घदा के मंदिर में चला गया। इसपर गांव के लोगों को गुस्सा आ गया और उसे ट्रेक्टर से कुचलकर मार दिया गया। इसके बाद गांव वालों ने सरकारी दफ्तरों के बाहर 5 साल तक प्रदर्शन किया। आखिर में दो साल पहले इन सबको सोदापुर में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन इन लोगों के लिए अबतक पक्के घर नहीं बनवाए गए हैं। सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। परिवारों ने बताया कि सरकार ने जमीन देने के बाद प्रत्येक घर के लिए 45 हजार रुपए दिए थे लेकिन उनमें से 10 हजार तो सिर्फ उस जगह का भराव करवाने में ही लग गए।