नई दिल्ली, देश के नए उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के साथ ही राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपना कार्यभार ग्रहण किया। राज्यसभा में उनका स्वागत करते हुए सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने उन्हें किसी भी धर्म या पार्टी से उपर उठकर बिना भेदभाव के उच्च सदन की कार्यवाही चलाने की सलाह दी।
आजाद ने शुक्रवार को राज्यभा के नए सभापति एम. वेंकैया नायडू का स्वागत करते हुए कहा कि जब की व्यक्ति किसी किसी विशेष दल में होता है तो वह पार्टी की विचारधारा और सोच को आगो बढ़ाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देता है लेकिन जब वह मंत्री बनता है तो उसकी जिम्मेदारी पार्टी और देशवासियों दोनों के प्रति हो जाती है। इसके अलावा, एक तीसरी स्थिति और बनती है, जब वही व्यक्ति जैसे कि आप आज जिस पद पर हैं, वहां आकर यह ध्यान आता है कि हमें निष्पक्ष होकर अपना दायित्व निर्वहन करना है।
आजाद ने कहा कि पार्टी और धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण न्याय होता है। आजाद ने भारतीय संविधान की खूबसुरती की प्रशंसा करते हुए लोकतंत्र लाने हेतु स्वतंत्रता सेनानियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि हमें अब यह अदिकार है कि की भी व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लोकतंत्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कि किसी भी व्यक्ति का आंकलन हम उसके संपन्नता, विपन्नता अथवा पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर नहीं करते।
यहां की ऐसे व्यक्ति हैं जो प्रभावी परिवार अतवा धनाढ़य घर से नही हैं, बावजूद उन्होंने देश के शीर्ष पदों पर रहकर राष्ट्र सेवा की है और कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने नायडू की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जमीन से उठकर देश के उपराष्ट्रपति पद को प्राप्त किया है। यह उनके संघर्ष, समर्पण और निष्ठा का परिणाम है।