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गेहूं, दालों का शुल्क मुक्त आयात कर, मोदी सरकार, किसानों को तबाह कर रही- शरद यादव

sharad-yadavनई दिल्ली,  अच्छे मानसून और किसानों की कड़ी मेहनत की वजह से अच्छी फसल होने के बावजूद गेहूं का शुल्क मुक्त आयात किए जाने को लेकर आज उच्च सदन में सरकार की आलोचना किए जाने पर प्रतिवाद करने के कारण शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू को विपक्ष की नाराजगी का सामना करना पड़ा।

जदयू के शरद यादव ने कहा कि इस साल बेहतर मानसून और किसानों की कड़ी मेहनत के चलते देश मे अच्छी फसल हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को उनकी अच्छी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि कर लाभ पहुंचाने के बजाय गेहूं और दालों का शुल्क मुक्त आयात कर रही है। इसके चलते किसान अपने उत्पाद को कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं। यह मुद्दा उठाने के लिए यादव ने नियम 267 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया था जिसे आसन की ओर से शून्यकाल में उठाए जाने वाले विषय के तहत अनुमति दी गई। यादव ने कहा कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,625 रूपये प्रति क्विंटल नियत है लेकिन बाजार में कीमत 1,550 रूपये प्रति क्विंटल है। इसी तरह अलग अलग दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,527 रूपये प्रति क्विंटल से लेकर 4,850 रूपये प्रति क्विंटल के बीच है लेकिन किसान अपने उत्पाद को 3,400 रूपये प्रति क्विंटल से लेकर 3,500 रूपये प्रति क्विंटल की दर से बेचने के लिए मजबूर हैं। विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। माकपा के तपन कुमार सेन ने गेहूं के शुल्क मुक्त आयात के फैसले को रद्द करने की मांग की। कांग्रेस, सपा और वाम सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने यादव के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

इस पर शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर अगर विपक्षी सदस्य चर्चा चाहते हैं तो नोटिस दे दें लेकिन इस तरह से सरकार पर हमला करना और उसकी नीयत पर सवाल उठाना गलत है। तब विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि शून्यकाल में सदस्यों को ऐसा करने का अधिकार है। लेकिन नायडू बोलते रहे और विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर मंत्री समूह विचार-विमर्श कर रहा है और समुचित समय पर समुचित निर्णय किया जाएगा। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे सरकार पर आरोप न लगाएं। इस पर विपक्ष ने नाराजगी जाहिर की। तब उप सभापति पीजे कुरियन ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदस्य शून्यकाल में कोई भी मुद्दा उठा सकते हैं और मंत्रियों को जवाब देने का अधिकार होता है। जब मंत्री जवाब देते हैं तब सदस्यों का दायित्व बनता है कि वह जवाब को धर्यपूर्वक सुनें। सदस्य जब महत्वपूर्ण मुद्दे उठाते हैं तब मंत्रियों का जवाब देना स्वाभाविक होता है। आजाद ने कहा कि नायडू न तो संबद्ध मंत्री हैं और न ही संसदीय कार्य मंत्री हैं जो कि संबद्ध मंत्री की अनुपस्थिति में जवाब देता है। येचुरी ने कहा कि सदस्यों को मुद्दे उठाने और सरकार की आलोचना करने का अधिकार है तथा सदस्य ऐसा कर सकते हैं। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि कोई भी वरिष्ठ मंत्री सदस्य की चिंता पर जवाब दे सकता है और नायडू ने यही किया।

 

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