नई दिल्ली, भारतीय बैडमिंटन टीम के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने आज साफ किया कि भारत इस खेल में चीन की तरह मजबूत शक्ति बनने से अभी मीलों पीछे है और बैडमिंटन सुपरपावर बनने के लिये घरेलू ढांचे और प्रशासन में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत पड़ेगी। गोपीचंद ने कहा, मुझे लगता है कि हम अभी चीन से काफी पीछे हैं। मुझे नहीं लगता कि यह सही तुलना होगी। हमने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन मैं विश्व चैंपियनशिप, ओलंपिक और आल इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन चाहता हूं।
लगातार अच्छा प्रदर्शन करने पर ही हम ऐसी बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा, जो भी देश अच्छा प्रदर्शन करते हैं उनके खिलाड़ी लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनके साथ कोच और सहयोगी स्टाफ भी बेहतर कर रहे है और इसके अलावा सरकारी ढांचा और नीतियां भी अनुकूल बन रही हैं। हमें भी इसकी जरूरत है। पूर्व आल इंग्लैंड चैंपियन गोपीचंद ने कहा, हमारे यहां अभी हमारे खिलाड़ी तो आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमारे कोच, सहयोगी स्टाफ और मैनेजर उस स्तर के नहीं हैं।
भारतीय शटलर विशेषकर किदाम्बी श्रीकांत की अगुवाई वाले पुरूष खिलाड़ियों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है। महिला और पुरूष वर्ग में पिछली छह में से चार सुपर सीरीज में भारतीय खिलाड़ी विजेता रहे हैं। पीवी सिंधु ने इंडिया ओपन में जीत दर्ज की जबकि प्रणीत ने सिंगापुर में अपना पहला सुपर सीरीज खिताब जीता। इसके बाद श्रीकांत ने इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया में लगातार दो खिताब अपने नाम किये।
गोपीचंद ने घरेलू टूर्नामेंटों के स्तर और प्रशासन की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, हमारे टूर्नामेंट और प्रशासन विश्व स्तरीय नहीं है। हमारे पास अब भी 1991 के आधार पर चलाये जा रहे टूर्नामेंट हैं। इस तरह से पिछले 25 वर्षों से हमारा एक ही तरह का घरेलू ढांचा है। वही राष्ट्रीय चैंपियनशिप, उसी तरह की रैंकिंग और उसी तरह की सोच। राज्य स्तर पर हम उसी तरह के कोच पैदा कर रहे हैं।