लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में आज यहां शास्त्री भवन में गोरखपुर में स्थापित किए जा रहे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान;एम्स के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार के बीच सहमति पत्र;एमओयू साइन किया गया।
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केन्द्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयए पी0एम0एस0एस0वाई0 डिवीजन के संयुक्त सचिव सुनील शर्मा तथा उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सा शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव डाॅ0 अनीता भटनागर जैन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
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एम0ओ0यू0 पर हस्ताक्षर होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से अब गोरखपुर में एम्स की स्थापना तीव्र गति से हो सकेगी और इस क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि गोरखपुर जिले में वर्तमान में एकमात्र बाबा राघव दास मेडिकल काॅलेज ही उपलब्ध हैए जिस पर समीपस्थ जिलों के मरीजों के आने से अत्यधिक दबाव पड़ता है और गम्भीर बीमारियों का उपचार कराने के लिए मरीजों को लखनऊए दिल्ली इत्यादि जगहों का रुख करना पड़ता है।
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उन्होंने कहा कि अधिकांश रोगियों की स्थिति अत्यन्त गम्भीर होती है कि उनका बचना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अब गोरखपुर में एम्स की स्थापना से पूर्वांचल एवं उसके आसपास के इलाकों तथा अन्य राज्यों की जनता को राहत मिलेगी और उन्हें इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
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इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने बताया कि एम्स की स्थापना गोरखपुर जिले के महादेव झारखण्डी गांव में 45ण्326 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जा रही है। इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 22 जुलाईए 2016 को किया गया था। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 1ए750 करोड़ रुपए है। राज्य सरकार द्वारा चिन्हित भूमि 90 वर्ष की लीज पर भारत सरकार को उपलब्ध करायी जा चुकी है।
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एम्स को विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र फीडर की स्थापना के लिए वित्तीय वर्ष 2017.18 के बजट में नई मांग के माध्यम से 36 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए गए हैं। प्रस्तावित एमओयू के तहत जिन बिन्दुओं को शामिल किया गया हैए उनमें.उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूमि को लीज पर दिया जानाए चिन्हित स्थल पर 4.लेन एपरोच मार्गए वाॅटर सप्लाईए स्वतंत्र विद्युत फीडर की स्थापना शामिल हैं।
भारत सरकार द्वारा एम्स एक्ट के अनुसार चिन्ह्ति स्थल पर एम्स का निर्माण एवं उसका संचालन किया जाएगा। इसके अलावाए एम्स के संचालन के लिए शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों का सृजन एवं उन पर भर्ती आदि की कार्यवाही भी केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी। केन्द्र सरकार मेडिकल, ध्नर्सिंग के पाठ्यक्रमों का संचालन भी सुनिश्चित करेगी। भारत सरकार द्वारा एचएससीसीआई को प्रारम्भिक गतिविधियों के लिए कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।
गोरखपुर में स्थापित किए जा रहे इस एम्स में 750 बेड होंगे। इसमें एक एकेडमिक ब्लाॅक होगा और मरीजों के रिश्तेदारों के ठहरने के लिए रैन बसेरे की भी स्थापना की जाएगी। इसके अलावाए इसमें एक आॅडीटोरियमए गेस्ट हाउस का भी निर्माण किया जाएगा। इसके अतिरिक्तए इसमें 172 आवासों के साथ.साथ 120 छात्रों तथा 240 छात्राओं ;कुल 360द्ध के लिए यू0जी0 हाॅस्टल की भी स्थापना की जाएगी। साथ हीए 599 विद्यार्थियों के लिए पी0जी0 हाॅस्टल तथा 432 नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए हाॅस्टल की भी स्थापना की जाएगी।
गोरखपुर एम्स ओ0पी0डी0 में तीन संकाय होंगे, जिनमें सर्जिकल एवं अन्य विशिष्टता, मेडिसिन तथा अन्य विशिष्टता तथा स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग सहित 29 विभाग प्रस्तावित हैं। गोरखपुर एम्स की स्थायी ओपीडी का निर्माण सितम्बरए 2018 तक पूर्ण हो जाएगाए जबकि चिकित्सालय का निर्माण पूर्ण होने की तिथि मार्चए 2019 रखी गई है। एम्स के तहत स्थापित किए जा रहे हाॅस्पिटल का निर्माण दिसम्बरए 2019 तक पूर्ण हो जाएगाए जबकि 300 बेड दिसम्बरए 2019 तकए 500 बेड मार्चए 2020 तक तथा 750 बेड जूनए 2020 तक उपलब्ध हो जाएंगे। इस एम्स में स्थापित किए जा रहे ट्राॅमा सेण्टर का कार्य मार्चए 2020 तक पूर्ण हो जाएगा।
इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डनए चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 के के गुप्ता, केजीएमयू के कुलपति डाॅ0 एम एल बी भट्ट, एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डाॅ0 राकेश कपूर, आरएमएल इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डाॅ0 दीपक मालवीया तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।