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गौरक्षा भी चुनावी जुमला बनकर रह गया- गोविंदाचार्य

govindacharya-pti-620x400नई दिल्ली,  बलिदान हुए गौ-भक्तों के 50 वर्ष पूरे होने पर 7 नवम्बर को दिल्ली में होंगे कार्यक्रम। कार्यक्रमों की रूपरेखा बताते कार्यक्रम संयोजक के. एन. गोविंदाचार्य ने बताया कि इन 50 सालों में बलिदान हुए गौ-भक्तों की प्रमुख मांग पूरी नहीं हो पाई और गौरक्षा भी एक प्रकार से चुनावी जुमला बनकर रह गया। 07 नवंबर को सैकड़ो पूज्य संतों की अगुवाई और गौरक्षा से जुड़े विभिन्न संगठनों से बना संगठन भारतीय गौसेवा संकल्प समिति के जरिए जंतर मंतर पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा। इस सभा में बलिदान गौभक्तों को श्रद्धांजली के साथ गौसेवा का संकल्प भी लिया जाएगा।

08 नवंबर को गौरक्षा क्रांति मंच के नेतृत्व में यमुना तट पर बलिदान हुए गौभक्तों को श्रद्धांजली स्वरूप एक लाख दीपदान का कार्यक्रम होगा। गाय और कृषि का अटूट संबंध को ध्यान में रखते हुए 9 नवंबर को कंस्ट्टीयूशन क्लब में पद्मश्री सुभाष पालेकर का गौ आधारित जीरो बजट एग्रीकल्चर पर व्याख्यान आयोजित है। विदित है कि 07 नवंबर 2016 को 1966 की बलिदान को 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन 50 सालों में बलिदान हुए गौ-भक्तों की प्रमुख मांग पूरी नहीं हो पाई और गौरक्षा भी एक प्रकार से चुनावी जुमला बनकर रह गया। 1966 में गोलीकांड में बलिदान हुए सैकड़ो गौभक्तों को श्रद्धाजंली देने और फिर से गौरक्षा का संकल्प लेने के लिए आगामी 6, 7, 8 व 9 नवंबर को विविध कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। 07 नवंबर 1966 को संसद के सामने विशाल गौरक्षा आंदोलन हुआ था। जिसमें भारत में उपजे सभी धर्म-संप्रदायों के प्रमुख धर्माचार्य और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए थे। आंदोलन में प्रमुख भूमिका पुरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ, सनातन धर्म के प्रमुख धर्माचार्य स्वामी करपात्री महाराज, वैष्णव संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, गीता प्रेस के प्रमुख हनुमान प्रसाद पोद्दार, आरएसएस के गोलवलकर की थी। इस आंदोलन में कांग्रेस के नेता सेठ गोविंद दास, समाजवादी नेता मणिराम बागरी, जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। दुर्भाग्य से आंदोलन पर गोलियां चली और सैकड़ो गौ-भक्त बलिदान हुए। गोली कांड के पश्चात् अनेक संतों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की। पूज्य संतों की प्रमुख मांग संपूर्ण गौहत्या बंदी कानून बनाना था। सरकार द्वारा आश्वासन देकर भूख हड़ताल तुड़वाई गई। हडताल खत्म होने के बाद राजनीतिक दलों का आश्वासन कोरा ही साबित हुआ। उसके पश्चात गांधी जी के अनुयायी संत विनोबा भावे ने भी संपूर्ण गौहत्या बंदी के लिए आंदोलन किए। आपातकाल के समय विनोबा भावे ने आमरण भूख हड़ताल की। जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधाी ने आश्वासन देकर समाप्त कराया, लेकिन संपूर्ण गौहत्या कानून को लेकर तब भी कोई कदम नहीं उठाया गया। आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी की सरकार बनीं तो विनोबा भावे फिर संपूर्ण गौरक्षा की मांग को लेकर आंदोलित हुए। विनोबा के दवाब में तत्कालीन जनता पार्टी सरकार ने संपूर्ण गौहत्या बंदी का मसौदा तैयार कराया लेकिन कुछ ही दिन में जनता पार्टी की सरकार गिर गई। 07 नवंबर को आयोजित हो रहे-बलिदानी गौभक्त स्वर्णिम श्रद्धांजली सभा को आयोजित करने के लिए गौरक्षा, गौसेवा और गौसंवर्धन से जुड़े अनेक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने मिलकर-भारतीय गौसेवा संकल्प समिति बनाई है। इन संगठनों में शामिल हैं- गौरक्षा आंदोलन, गौक्रांति मंच, भारतीय गौ का्रंति मंच, हरियाणा गौशाला संघ, राजस्थान गौसेवा समिति और गौ रक्षा अक्षोण्णी व अन्य राज्यों में बनीं गौशाला संघ, गौसेवा समितियां शामिल हैं। इस श्रद्धांजलि सभा में प्रमुख रुप से पुरी के शंकराचार्य पूज्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा पथमेड़ा गौधाम के पूज्य स्वामी दत्तशरणानंद जी महाराज, मलूकपीठ के स्वामी राजेंद्र दास जी महराज, गौरक्षपीठ के प्रमुख योगी आदित्य नाथ जी, सुप्रसिद्ध गौकथा वाचक और गौ क्रांति मंच के संस्थापक संत गौपालमणि जी महाराज, सुप्रसिद्ध गौरक्षक संत गौपाल दास आदि संत उपस्थित रहेंगे। राजनेताओं प्रमुख रुप से डाॅक्टर सुब्रमण्यम स्वामी, आरिफ मुहम्मद खान, विजय साई रेड्डी आदि मौजूद रहेंगे।

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