झांसी, उत्तर प्रदेश के झांसी में नगर निगम की गौशाला ‘कान्हा उपवन’ में गौ पालकों द्वारा दूध दुहने के बाद छोड़ दिये गये अन्ना गोवंश को न केवल आश्रय दिया जा रहा है, बल्कि कम दूध उत्पादन के कारण उपेक्षित घूम रही इन गायों की नस्ल सुधार कर इन्हें दुधारू बनाने के प्रयास भी शुरू किये गये हैं।
बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा की बड़ी समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर झांसी नगर निगम के अधिकारियों ने राजगढ़ स्थित कान्हा उपवन गौशाला में अन्ना पशुओं की नस्ल सुधार की यह अनूठी योजना शुरू की है। इस योजना से जहां एक ओर अन्ना पशुओं का आर्थिक महत्व बढ़ेगा, वहीं गौशालाएं भी आर्थिक रूप से निर्भर होंगी। साथ ही अन्ना कुप्रथा की समस्या से भी निजात मिलेगी।
झांसी नगर निगम के नगर पशु कल्याण अधिकारी डा. राघवेंद्र सिंह ने बुधवार को ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि 2020 में शुरू हुई कान्हा उपवन गौशाला में अभी 653 गायों को आश्रय दिया गया है। यहां इस गौवंश के रहने ,खाने, साफ सफाई ,वैक्सीनेशन आदि के लिए सरकार द्वारा लगातार अनुदान दिया जाता है। नगर निगम भी इसमें खर्च करता है। इस तरह शासन प्रशासन के सहयोग से इस गौशाला को चलाया जा रहा है। अन्ना पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इनकी नस्ल सुधार को लेकर सरकार द्वारा अब नयी पहल की गयी है।
इसी पहल के तहत नगर निगम के अनुरोध के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश में विभिन्न उच्च उत्पादकता ब्रीडिंग सेंटरों से गीर ,साहीवाल और हरियाणा से अन्य अच्छी नस्ल के सांड यहां कान्हा उपवन में भेजे हैं। सरकार द्वारा बेहद कम कीमत पर इतनी अच्छी नस्ल के सांड मुहैया कराये गये हैं। गौशाला में इनसे मौजूद गायों को क्रॉस कराकर नस्ल सुधार का काम शुरू भी कर दिया गया है। आने वाले आठ से नौ महीनों में इस प्रयोग के अच्छे परिणाम उन्नत नस्ल की बछिया और बछड़ों के रूप में देखने को मिलेंगे। इन बछियों की उत्पादक क्षमता कम से कम 8 से 10 लीटर की होगी। आम लोगों को यह नीलामी प्रक्रिया के तहत दी जाएंगी, जिससे गौशाला की एक सुनिश्चित आय होगी
डा सिंह ने यह भी उम्मीद जतायी कि इन अन्ना पशुओं की नस्ल सुधार के बाद संभवत: अपने पशुओं को लेकर लोगों की संवेदनशीलता बढ़ेगी। साथ ही अधिक दूध पाने से हुए मुनाफे को देखते हुए यहां लोग अपने पशुओं को यूं ही आवारा छोड़ने की प्रथा से भी बचेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि ऐसी मानसिकता में सुधार के लिए लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जागरूकता से ही अन्ना प्रथा जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगायी जा सकती है। किसी जानवर से लाभ लेकर छोड़ देना एक विकृत मानसिकता की निशानी है। जिसे जागरूकता से ही दूर किया जा सकता है। गौशाला अपनी ओर से इन जानवरों के आर्थिक महत्व को बढ़ाने के लिए जो भी संभव हो सकता है वह कर रही है और गायों की नस्ल सुधार के लिए किये जा रहे प्रयास भी इसी कोशिश का नतीजा है।