लखनऊ, राज्य, जिला और शहर की तर्ज पर गांव भी अब अपना स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत कर उत्तर प्रदेश में ‘मॉडल विलेज’ की संकल्पना को मूर्त रूप देंगे। इस पहल को डाक्टर और इंजीनियर बनने के बाद ग्राम प्रधान बने कुछ लोग अंजाम दे रहे हैं।
‘ग्राम स्थापना दिवस’ मनाने की पहल के लिये प्रदेश के पांच गांव आगे आये हैं। इसकी शुरुआत आगामी 25 सितंबर को शाहजहांपुर जिले के सहाेरा गांव से होगी। इस पहल की अगुवाई ‘मॉडल विलेज’ अभियान के तहत की गयी है।
ग्रामोदय की संकल्पना को साकार करने के लिये उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ प्रशसानिक अधिकारी (आईएएस) डा हीरा लाल द्वारा सुझायी गयी ‘मॉडल विलेज’ की अवधारणा को आधार बनाया गया है। डा लाल ने गुरुवार को यूनीवार्ता को बताया कि गांव को आत्मनिर्भर बनाने के तमाम प्रकल्पों पर पिछले दो साल से काम चल रहा है। इनमें जल प्रबंधन, साफ सफाई और सामाजिक सहकार जैसे ग्रामीण जीवन के मूलभूत गुणों को पुनर्जीवित करने में गांव वालों की सक्रिय भूमिका काे सुनिश्चित करना है।
उन्होंने बताया कि सभी को समाहित करने वाला गांव का मूल चरित्र बहाल करना ग्रामोदय की पहली सीढ़ी है। गांधी दर्शन पर आधारित इस अवधारणा को मूर्त रूप देने के प्रकल्पों का विस्तृत विवरण डा लाल ने अपनी पुस्तक ‘डायनमिक डीएम’ में दिया है। उन्होंने बताया कि गांव वालों की सहभागिता से सर्वसमावेशी गांव को उकेरने में ग्राम पर्यटन भी एक व्यवहारिक प्रकल्प है। इसकी शुरुआत ‘ग्राम स्थापना दिवस’ से आगामी 25 सितंबर को शाहजहांपुर के सहोरा गांव से होगी।
सहोरा के ग्राम प्रधान डा. सत्यवीर सिंह ने बताया कि उनका गांव 25 सितंबर को ‘ग्राम स्थापना उत्सव’ मनायेगा। उत्सव की तिथि तय करने से लेकर इसकी रूपरेखा काे गांव के बुजुर्गों से विचार विमर्श कर तय किया गया है। उन्होंने बताया कि इसकी प्रेरणा पिछले महीने 16 और 17 अगस्त को बांदा के बड़ोखर खुर्द गांव में प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह द्वारा आयोजित ग्रामोत्सव से ली गयी है।
गौरतलब है कि ग्रामोत्सव में कृषि कार्य से जुड़े बढ़ई, लुहार, चर्मकार और कहार सहित अन्य श्रमजीवियों को पूरे गांव ने सामूहिक रूप से सम्मानित कर ग्रामीण जीवन में उनके विशेषज्ञता पूर्ण कार्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की थी। डा. सिंह ने बताया कि ग्रामोत्सव की तर्ज पर ग्राम स्थापना उत्सव भी पूरी तरह से गांव वालों का सामूहिक पर्व होगा। जिसे मनाने की जिम्मेदारी पंचायत की नहीं बल्कि पूरे गांव की होगी। इसमें गांव के बुजुर्गों से मशविरा कर उनके गांव के बसने के अनुमानित समय का अंदाजा लगाकर उक्त महीने के किसी रविवार के दिन ग्राम स्थापना दिवस मनाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इसमें गांव से बाहर देश विदेश में रहने वालों और गांव की बेटियों को भी आमंत्रित किया गया है। गांव से बाहर रहने वालों को उनकी जड़ों से जोड़ने के लिये उन्हें इस आयोजन में बुलाकर सम्मानित किया जायेगा। जिससे वे भी अपनी जड़ों से जुड़कर अपनी विशेषज्ञता का लाभ गांव को दे सकें। इसी तरह गांव की बेटियों को भी सपरिवार आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित किया जायेगा। इसके अलावा दिन भर चलने वाले इस उत्सव में गांव की स्थानीय कला, संस्कृति, परंपराओं और खानपान के माध्यम से उत्सव मनाने की तैयारी की गयी है। डा सिंह ने इसकी विशेषता के बारे में बताया कि पूरे उत्सव में बाजार से कोई वस्तु लाने के बजाय, कोशिश की जायेगी कि हर वस्तु गांव से ही ली जाये। डा लाल ने बताया कि सहोरा के बाद मिर्जापुर के बगही गांव, कन्नौज के मुरैया बुजंर्ग, प्रतापगढ़ के बेसार और फिरोजाबाद के कंथरी गांव में भी ग्राम स्थापना उत्सव मनाने की तैयारी पूरी हो गयी है। कंथरी के प्रधान इंजीनियर प्रदीप कुमार ने बताया कि उनके गांव में अक्टूबर में ग्राम स्थापना उत्सव मनाया जायेगा। गौरतलब है कि डा लाल ने ‘मॉडल गांव’ के अपने प्रयोगों को बतौर जिलाधिकारी बांदा सहित अन्य जिलों में सफलतापूर्वक पूरा किया। इनमें पर्यावरण एवं जल संरक्षण, कृषि विकास एवं आात्मनिर्भर गांव से जुड़े तमाम प्रयोग शामिल हैं, जिनका जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कर चुके हैं।