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घरेलू बिजली उपभोक्ता से वसूली जाएगी ज्यादा कीमत, उद्योगो को मिलेगी छूट

electricityनई दिल्ली, सरकार बिजली की दरों का नया स्ट्रक्चर पेश करने वाली है, जिसमें बड़े डोमेस्टिक पावर कंज्यूमर्स से अधिक कीमत वसूली जाएगी ना कि इंडस्ट्रियल यूनिट्स से। किसानों और गरीबों को बिजली पर दी जा रही सब्सिडी का बोझ इंडस्ट्रियल कंज्यूमर्स से हटाकर बड़े डोमेस्टिक और कमर्शियल कस्टमर्स पर डाला जा सकता है।

ज्यादातर राज्यों में एक महीने में 800 यूनिट्स से ज्यादा पावर कंज्यूमर करने वाले को बड़ा डोमेस्टिक कंज्यूमर माना जाता है। सरकार पावर टैरिफ पैटर्न को सिंपल बनाने पर भी काम कर रही है। इसमें कंज्यूमर्स को दो या तीन कैटेगरी और सब-कैटेगरी में बांटा जाएगा। इससे पावर बिलिंग में पारदर्शिता और एफिशिएंसी बढ़ेगी। पावर टैरिफ स्ट्रक्चर में बदलाव के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है। इसमें कई राज्यों और पावर मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारी शामिल हैं। नए टैरिफ स्ट्रक्चर में बिजली की बचत के जरिए रेजिडेंशियल कंज्यूमर्स और इंडस्ट्रियल कंज्यूमर्स पर बोझ कम करने पर जोर होगा।

कमेटी कंज्यूमर्स के लिए कनेक्टेड लोन पर फिक्स्ड चार्ज में बढ़ौतरी पर भी विचार कर रही है। इसका मकसद यह है कि कंज्यूमर्स जिस लोड कैपेसिटी का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, वे उसे वापस कर दें। ज्यादातर राज्यों में पुराना इलैक्ट्रिसिटी टैरिफ स्ट्रक्चर चला आ रहा है। राजनीतिक दखलंदाजी और इंडस्ट्रियल यूनिट्स से भेदभाव के चलते इसकी आलोचना अक्सर होती रहती है। इंडस्ट्रियल यूनिट्स नियमित तौर पर बिजली बिल का भुगतान करती हैं, इसके बावजूद उन पर क्रॉस सब्सिडी का बोझ डाला जाता है। वहीं, डोमेस्टिक पावर कंजम्पशन पर सब्सिडी दी जाती है। हालांकि, कंजम्पशन के साथ टैरिफ में बढ़ौतरी का भी रूल है।

पावर मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिशियल ने बताया कि भारत आज पावर सरप्लस देश हो गया है। यह पहले की तरह पावर डेफिसिट कंट्री नहीं रहा। इसलिए बिजली की इंडस्ट्रियल मांग बढ़ाने की जरूरत है। अभी इकनॉमिक स्लोडाउन और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की तरफ से कम डिमांड के चलते पावर प्लांट्स 60 प्रतिशत प्रॉडक्शन कैपेसिटी पर काम कर रहे हैं। इंडस्ट्रियल यूनिट्स अगर अधिक बिजली खरीदती हैं तो इससे पावर प्लांट्स की प्रॉडक्शन कैपेसिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार ने 175 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने की योजना बनाई है। अभी 50 गीगावॉट के नए पावर प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। ऐसे में 2022 तक थर्मल पावर प्लांट्स का यूटिलाइजेशन घटकर 48ः रह सकता है।

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