किसी भी पवित्र स्थान पर जूते चप्पल पहनकर प्रवेश करना पूर्णत वर्जित बताया गया है। ऐसे भी कहा जाता है कि घर में जूते चप्पल पहनकर प्रवेश नही करना चाहिये। कुछ घरों में तो कभी कोई मेहमान या बाहर का आदमी जूते या चप्पल पहन कर आ भी जाये, तो सब उसे ऐसे देखते हैं कि बेचारा खुद इतना शर्मिंदा हो जाता है।लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है जिसे हम लोग धर्म से जोड़ देते हैं।
हमारे जूतों और चप्पलों में 421,000 बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत हमारे खाने और पानी के साथ मिल जाते हैं। इस स्टडी में एक और बात सामने आई है कि हमारे जूतों-चप्पलों में 7 अलग-अलग तरह के 27 प्रतिशत बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। जबकि घर के बाहर इन्हें रखने पर हमारा फ्लोर और प्राइवेट रूम इनसे प्रभावित होने से बच जाता है।
हम जिन पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते हैं, उसमें 2 मिलियन बैक्टीरिया प्रति स्क्वायर इंच के हिसाब से पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों कहना है कि आप सड़क पर पड़े कुत्ते की गंध और अन्य गन्दी चीजों से खुद को साफ समझते हैं, पर बारिश और पानी के सम्पर्क में आने पर उनके बैक्टीरिया आपके जूतों तक पहुंच जाते हैं। तो समझ गये न आप कि ऐसे नियम कहीं न कहीं हमारे भले के लिये ही बनाये गये हैं।