सुप्रीम कोर्ट की कमिटी से शिकायत करने पर नाराज हुए अफसर एडीएम डीएस पांडेय ने हालात और गरीबी के कारण घास की रोटी खाने को मजबूर लोगों से कहा- मर जाओ. बुंदेलखंड मे बांदा के एक गांव में किसानों की बदहाली का जायजा लेने पहुंचे एडीएम डीएस पांडेय उन्हीं पर भड़क गए। इस इलाके में कई किसान फसल बर्बादी के चलते घास की रोटियां खाने को मजबूर हैं। गांव के ही एक शख्स ने एडमिनिस्ट्रेशन में फैले भ्रष्टाचार और किसानों की बदहाली का जिक्र किया। बस हालात और गरीबी के कारण घास की रोटी खाने को मजबूर कई परिवारों पर डीएस पांडेय का गुस्सा फूट पड़ा। एडीएम ने गुस्से में आकर गांव वालों से मर जाने तक को कह दिया। उन्होंने गांव वालों को हद में रहने की हिदायत भी दी।एसडीएम पुष्पराज सिंह ने घास की रोटी और जंगली फलों में विटामिन-सी होने की बात कहते हुए उसे सेहत के लिए फायदेमंद भी बता डाला। अफसरों ने कहा कि यहां सब अच्छा चल रहा है। कहीं कोई समस्या नहीं है।
हालात और गरीबी के कारण बुंदेलखंड के कई परिवार घास की रोटी खाने को मजबूर हैं। आम आदमी पार्टी में रह चुके योगेंद्र यादव ने हाल ही में बुंदेलखंड के हालात को लेकर सर्वे कराया था। रिपोर्ट में पता चला था कि बुंदेलखंड के कई परिवार घास की रोटी खाने को मजबूर हैं। इस सर्वे के बाद काफी हंगामा हुआ था। कई लोगों ने इस रिपोर्ट का विरोध भी किया था। योगेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर बुंदेलखंड की समस्या को सबसे पहले उठाया था। मुख्यमंत्री ने अफसरों की कमिटी से जांच कराकर कार्यवाही की बात कही थी.मीडिया में कुछ दिनों पहले आईं खबरों में बताया गया था बांदा के सुलखान का पुरवा गांव के किसान घास की रोटियां और जंगली फल खाने को मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट पर गौर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हालात का जायजा लेने के लिए दो मेंबर की कमिटी बनाई थी। इसमें मशहूर सोशल एक्टिविस्ट डॉ. हर्षमंदर और डॉ. सज्जाद हसन शामिल थे। कोर्ट के कहने पर दोनों ही दो दिन पहले सुलखान का पुरवा गांव पहुंचे थे। यहां के हालात और गरीबी देख कमिटी हैरान रह गई थी। कमिटी के दोनों मेंबरों ने घास की रोटियां खाकर देखी थीं और भूख से मरने वाले सुब्हानी और गप्पू के घर भी गए थे। इस इलाके में जिस घास से रोटियां बनती हैं, उसे ‘फिकारा’ बताया जाता है।