सहारनपुर, लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के निराशाजनक प्रदर्शन के बीच नगीना सीट पर जीत हासिल कर चंद्रशेखर दलित सियासत का नया चेहरा बन कर उभरे हैं।
सहारनपुर के कस्बा छुटमलपुर निवासी एक शिक्षक के पुत्र चंद्रशेखर ने कुछ सालों पहले भीम आर्मी नामक सामाजिक संगठन की स्थापना की थी और बाद में सियासी थपेड़ों ने उन्हें आजाद समाज पार्टी नाम की राजनीतिक पार्टी खड़ी करने को मजबूर किया। उन्होंने गैर भाजपाई दलों से टिकट लेने की कोशिश की लेकिन उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने को अखिलेश यादव, राहुल गांधी और मायावती कोई तैयार नहीं हुआ। उनकी हिम्मत ने जवाब नहीं दिया और वह आज जब सियासी दलों का समाज पर जबरदस्त वर्चस्व बना हुआ है तब बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदने का साहस दिखाया और 511812 मतदाताओं ने उन्हें लोकसभा में प्रवेश दिला दिया। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार एवं विधायक ओम कुमार को 262061 के भारी अंतर से पराजित किया।
गौरतलब है कि पिछले आठ-नौ सालों में जैसे-जैसे मायावती और उनकी पार्टी बसपा का ग्राफ ढल रहा है, उसके विकल्प के तौर पर चंद्रशेखर सामाजिक असमानताओं से संघर्ष कर दलित समाज में अपनी स्वीकार्यता कराने में सफल रहे हैं। सहारनपुर से जीते इमरान मसूद का दावा है कि दोनों ने इस चुनाव में एक-दूसरे की जमकर मदद की। उन्होंने नगीना में मुसलमानों का समर्थन दिलाया तो बदले में चंद्रशेखर की पूरी टीम सहारनपुर में इमरान के साथ खड़ी थी।