पटना, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि युवाओं को देश के संघर्षपूर्ण इतिहास को न केवल समझने की जरूरत है बल्कि इसके आत्मसात करने की भी जरूरत है। राजधानी पटना में चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होना सौभाग्य की बात है।
राष्ट्रपति ने कहा, स्वतंत्रता सेनानियों का जुल्म के खिलाफ अमूल्य योगदान रहा है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। भारत विकासशील अर्थव्यवस्था है, अब हमें विकसित भारत के सपने को साकार करना है। मुखर्जी ने आगे कहा, स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया, तमाम स्वतंत्रता सेनानियों का मैं नमन करता हूं। इस आयोजन के लिए उन्होंने बिहार सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि बिहार का इतिहास स्वर्णिम रहा है।
उन्होंने कहा, महात्मा गांधी ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधकर स्वतंत्रता के सपने को पूरा किया। हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। यह मेरा सौभाग्य है कि मैंने भारत जैसे देश में जन्म लिया है। उन्होंने बिहार के स्वर्णिम इतिहास को याद करते हुए कहा, बिहार का अपना एक इतिहास रहा है। चंपारण सत्याग्रह ने ही मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी बना दिया। महात्मा गांधी ने बिहार को अपनी कर्मस्थली बनाया। गांधी ने देश के लिए जो कुछ किया, उसे भूलाया नहीं जा सकता। इससे पहले, राष्ट्रपति ने 15 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने इस मौके पर महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस समारोह में कुल 2,972 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया। इनमें से 19 राज्यों के 264 और बिहार के 2,708 स्वतंत्रता सेनानियों में से चुने गए 554 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया। जो स्वतंत्रता सेनानी नहीं पहुंचे सके, उन्हें उनके घर जाकर सम्मानित किया जाएगा।इससे पहले पटना हवाई अड्डे पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। यहां से राष्ट्रपति सीधे कार्यक्रम स्थल पहुंचे। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यपाल रामनाथ कोविंद, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी उपस्थिति थे। उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी ने चंपारण जिले में ब्रिटिश शासकों द्वारा नील की खेती के लिए किसानों को बाध्य करने के खिलाफ 10 अप्रैल 1917 को सत्याग्रह की शुरुआत की थी। इसके सौ साल पूरे होने पर बिहार में बीते सप्ताह समारोहों की शुरुआत हुई।