आगरा, इसे मौसम में आई गरमाहट मानें या नियत तिथियों में बदलाव, या फिर यूपी बोर्ड की परीक्षाएं, कुछ भी हो, लेकिन ताज महोत्सव में पिछले वर्षों के मुकाबले भीड़ और स्टॉल्स की संख्या कम नजर आ रही है। दिन में गर्मी के कारण पर्यटकों की संख्या सीमित रह रही है, शाम होने पर ही शिल्पग्राम कुछ गुलजार नजर आता है।
शिल्पग्राम में इस बार पिछले वर्षों की तुलना में कम शिल्पी जुटे हैं। बड़ी संख्या में स्टॉल खाली हैं, जो रौनक को कम कर रहे हैं। मुक्ताकाशीय मंच पर स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति के दौरान दर्शकों/श्रोताओं की उपस्थिति बेहद कम दिख रही है। नामचीन कलाकारों की प्रस्तुतियों के दौरान दर्शक जरूर पहुंच रहे हैं फिर भी दर्शक दीर्घा को पूरी तरह नहीं भर पा रही है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण विगत दो साल से ताज महोत्सव का आयोजन नहीं हो पा रहा था। इस साल आयोजन तो हो रहा है, लेकिन इसकी तिथियां बदल गईं। यह हर साल 18 से 27 फरवरी तक नियत तिथियों पर होता रहा है, इस बार विधानसभा चुनावों के फरवरी में होने के कारण ताज महोत्सव को मार्च में कराने का निर्णय लिया गया। चुनावी आचार संहिता लागू रहने के कारण भी इंतजामों पर असर पड़ा। महोत्सव की तैयारियों सम्बन्धी प्रमुख फैसलों को चुनाव आयोग द्वारा अनुमोदित किये जाने का इंतजार करना पड़ा।
सीमित अवधि में सभी तैयारियां करने के प्रयास कुछ स्थानों पर अधूरे दिख रहे हैं। शिल्पग्राम में प्रवेश करने पर स्वागत कक्ष से पहले बने पक्के भवन को हर बार सुंदर पेंटिंग्स से सजाया जाता था। इस बार पेंटिंग्स लटकी नजर नहीं आ रहीं हैं। दीवारों को केवल रंग-रोगन से चमका दिया गया है। अनेक स्टाल्स या तो खाली पड़े हैं या फिर उनमें कबाड़ भरा पड़ा है। शिल्पियों की शिकायत है कि स्टॉल का पूरा शुल्क वसूले जाने के बाद भी पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है। तेज धूप से बचाव के साधन नहीं किये गए हैं, कई उत्पाद तेज धूप के कारण खराब भी हो रहे हैं। भीड़ कम रहने से झूले वालों की आय भी उम्मीद से कम हो पा रही है।
उपनिदेशक पर्यटन आर.के. रावत ने कहा कि बढ़ती गर्मी और बोर्ड परीक्षाओं के कारण इस बार दर्शकों की संख्या कम है, लेकिन शाम के समय अच्छी संख्या में लोग आ रहे हैं। ताज महोत्सव की टिकट खिड़की ने बुधवार को टिकट बिक्री से 2.35 लाख रुपये जुटाये। मंगलवार को भी 2.10 लाख रुपये की टिकट बिक्री हुई। उन्होंने स्वीकार किया कि सूरजकुंड (हरियाणा) में 19 मार्च से मेला शुरू होने और इस साल नई तिथियों में ताज महोत्सव होने से यहां आने वाले शिल्पियों की संख्या में गिरावट आई है, तथापि महोत्सव में पिछले वर्षों की तरह हर तरह के उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है।