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चार साल से लगातार बढ़ रहे एड्स रोगियों से चिंतित शासन ने की बारीकी से छानबीन की शुरुआत

हमीरपुर, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में चार साल से लगातार बढ़ रहे एड्स रोगियों की संख्या को देखते हुए शासन ने पहली बार इन्डेक्स टेस्टिंग(गहन छानबीन) की शुरुआत कर दी है।
जिलें में सबसे ज्यादा मौदहा,सुमेरपुर ब्लाक प्रभावित है। सूरत, गुजरात व महाराष्ट्र में मजदूरी करने वाले लोग एड्स रोग लाकर यहां फैलाने का काम कर रहे है। सरकार अब इन प्रांतों में बारीकी से छानबीन कर रही है। जिले में एड्स के शिकार एक सौ सात महिलाएं व 317 पुरुष स्थानीय अस्पताल में इलाज करा रहे है।

एचसीटीएस (एचआईवी काउन्सलिंग एंड टेस्टिंग सर्विस) के वरिष्ठ परामर्शदाता डा प्रशांत कुमार ने शनिवार को बताया कि जिले में वर्ष 2021 में 23 रोगी, 2022 में 25 रोगी, 2023 में 26, वर्ष 2024 में नवम्बर माह तक 30 एड्स रोगी पाये गये थे। पिछले चार साल से लगातार एड्स रोगियों की संख्या बढ़ने से उच्चाधिकारियों के चेहरे में चिंता की लकीरे की दिखायी पड़ रही है। लिहाजा शासन को अपनी पालिसी बदलकर इसी साल से नया कार्यक्रम इंडेक्स टेस्टिंग की शुरुआत कर दी है, इस नियम से परिवार के अन्य सदस्यों की भी जांच की जाती है,जो लोग एड्स से प्रभावित होते है, संबंधित प्रांतो में जांच पड़ताल कर एड्स को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिये संबंधित प्रांत के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाता है।

डा. प्रशांत का कहना है कि रोगी को अपना स्टेट्स की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है उसी आधार पर वह उपचार लेता है। अभी तक जिले में 94,088 एड्स रोगियों की जांचे हुई है जिसमे जिसमे 317 पुरुष एड्स रोगी पाये गये है। जिनका इलाज किया जा रहा है,जो एड्स रोगी है उनकी पूरी जानकारी रखी जाती है। ये कब और कहां जा रहे हैं इसकी पूरी जानकारी ली जाती है। महिलाओं की संख्या 107 बतायी गयी है। कुल मिलाकर जिले से 424 एड्स रोगी उपचार प्राप्त कर रहेे है।

एड्स रोगी को उपचार के दौरान वायरल लोड का पता चलने के बाद उसका उपचार ठीक से हो पाता है हालांकि शासन ने फिलहाल सड़क के किनारे होटलों, ढाबों व अन्य प्रतिष्ठानों में कैम्प लगाकर जांच करने व लोगो को जागरुक करने का अभियान शुरु कर दिया है, जिससे काफी एड्स रोगियों को लाभ मिल रहा है लोग इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरुक भी हो रहे है।

महिला परामर्शदाता नीतू शंखवार ने बताया कि डिलेवरी के समय भी महिलाओं की एड्स की जांच की जाती है। अभी तक सिर्फ एक महिला को चिंहित किया गया है जो डिलेवरी में एड्स से ग्रसित थी मगर उसके बच्चे पर कोई असर नही हुआ है। डां प्रशांत का कहना है कि जिले में ट्रक चालक व ईट भट्ठे में काम करने वाले लोग इस खतरनाक बीमारी को लेकर आते है जिससे अन्य लोग प्रभावित होते है।