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चिपकों आंदोलन को हुए 45 साल, Google ने डूडल बनाकर ऐसे किया याद

नई दिल्ली, सर्च इंजन गूगल ने सोमवार को प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की 45वीं सालगिरह के मौके पर गूगल डूडल बनाकर समर्पित किया है. डूडल में डिजाइन की हुई रंगीन तस्वीर दिख रही है जिसमें एक पेड़ के चारों ओर महिलाओं का एक समूह खड़ा है जो वनों की कटाई के खिलाफ उनकी लड़ाई को प्रस्तुत कर रहा है जो चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था.

चिपको आंदोलन की शुरुआत 1973 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश  के जंगल बहुल इलाके में मशहूर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में हुई थी. जिसमें पेड़ों की कटाई के खिलाफ आंदोलन छेड़ा गया था. मौजूदा उत्तराखंड के चमौली जिले में हुए इस अहिंसक आंदोलन का प्रभाव बाद में पूरे उत्तर भारत में फैल गया. इस आंदोलन में चिपको का अर्थ ग्रामीणों द्वारा पेड़ों को लिपटने से था जिससे वे पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए इकठ्टा होते थे.

चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य फैक्ट्री, रोड और बांध बनाने के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना था जिससे प्रकृति को बचाया जा सके. चिपको आंदोलन की सबसे खास बात यह थी कि इसमें ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी बड़े स्तर पर थी. इस आंदोलन से प्रसिद्ध हुए सुंदरलाल बहुगुणा को साल 2009 में भारत सरकार की तरफ से पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

चिपको आंदोलन की शुरुआत सबसे पहले 18वीं सदी में राजस्थान में हुई थी. राजस्थान के खेजरी गांव में बिश्नोई समुदाय के लोगों ने खेजरी नाम के पेड़ों की कटाई रोकने के लिए उससे चिपक गए थे. इसमें करीब 363 लोगों ने अपनी जानें गंवा दी थी. पेड़ों की कटाई जोधपुर के महाराजा के आदेश पर शुरू हुई थी.