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चीन का सबसे सख्त साइबर सुरक्षा कानून प्रभाव में आया

बीजिंग, चीन का सबसे विवादित साइबर सुरक्षा कानून आज से देश में प्रभावी हो गया। इस कानून के तहत अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को महत्वपूर्ण डेटा देश के भीतर ही रखना जरूरी हो जायेगा, जिस पर विदेशी कारोबारियों को आपत्ति है। इस पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी सरकारी संस्था साइबर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन पर है। संस्था ने बताया कि कारोबारों को सीमा-पार डेटा स्थानांतरण नियमन के लिये 19 महीने की मोहलत दी जायेगी।

रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि की शुरुआत एक जून से हो गयी, जो अगले साल अंत में खत्म होगी। इस तरह की कोई सूचना अगर आपत्तिजनक है तो ऑनलाइन सेवा उपयोगकर्ताओं को अब सेवा प्रदाताओं से अपनी सूचना डिलीट करने के लिये कहने का अधिकार होगा। साइबर सुरक्षा प्रबंधन कर्मचारी को प्राप्त सूचना की निश्चित रूप से सुरक्षा करनी होगी और निजता एवं व्यावसायिक गोपनीयता समेत ऐसी कोई सूचना लीक करने या बेचने पर प्रतिबंध होगा।

जो भी इन प्रावधानों एवं व्यक्तिगत सूचना का उल्लंघन करेगा उन्हें भारी भरकम जुर्माना अदा करना होगा। चीन की संसद द्वारा नवंबर में पारित कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी फर्जीवाड़ा या प्रतिबंधित सामान बेचने के लिये इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस कानून से सभी अहम डाटा और महत्वपूर्ण सूचना व्यवस्था से डाटा को चीन में रखना आवश्यक हो गया है और ऐसी किसी सूचना को देश के बाहर स्थानांतरित किये जाने से पहले इनकी जांच एवं मूल्यांकन करना होगा।

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट में एक इंटरनेट नियामक के हवाले से कहा गया कि यह कानून आज से प्रभाव में आ जायेगा और इसका उद्देश्य चीन के बाजार में विदेशी कंपनियों की पहुंच सीमित करना नहीं है। साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना ने बयान दिया कि नागरिकों के अधिकार एवं हितों, कानूनी व्यक्तियों एवं अन्य संगठनों के साथ चीन की साइबर सम्प्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा, जनहित की रक्षा के लिये इस कानून को डिजाइन किया गया है।

बयान के अनुसार, यह विदेशी कंपनियों या उनकी प्रौद्योगिकी एवं उत्पाद को चीन के बाजार में आने से नहीं रोकता है और ना ही व्यवस्थित, डाटा के मुक्त प्रवाह को सीमित करता है। इसने कहा, चीन अंतरराष्ट्रीय कार्यप्रणाली के अनुसार अपनी साइबर सम्प्रभुता के नियमन के लिये कानून एवं नियम बनाने का हकदार है। हालांकि विदेशी कंपनियों एवं सरकारों ने शिकायत की कि यह कानून चीन अनुचित अवरोधक पैदा करने वाला है और विश्व व्यापार संगठन  के नियमों के खिलाफ है तथा इसमें अनुरूपता की कमी है।