चीन की भबकी से खौफ खा गये नरेन्द्र मोदी

VV modiमोदी पलटे ! आखिर क्यूँ ?
कदाचित नरेन्द्र मोदी चीन की भबकी से खौफ खा गये| वर्ना उईगर प्रान्त को साम्राज्यवादी Beijing, China से मुक्त करने के संघर्ष के अथक योद्धा राष्ट्रभक्त मुस्लिम पुरोधा डोलकुन ईसा Dolkun Isa का वीसा भाजपा सरकार निरस्त न करती | वचन भंग किया है प्रधानमंत्री ने | यह सनातनी संस्कृति के विरुद्ध है | डोलकुन ईसा धर्मशाला नगर में संत Dalai Lama के विचार यज्ञ में शिरकत करने बर्लिन से हिमाचल प्रदेश आ रहे थे |मोदी सरकार की इस अवांछित निर्णय प्रक्रिया के तहत तीन कारण संभव है | और तीनो निहायत क्लीव और तर्कहीन है | शायद मोदी सरकार ने कल्पना की होगी की ईसा को वीसा दे कर Pakistan आतंकवादी मसूद अज़हर की गिरफ़्तारी का मार्ग भारत प्रशस्त कर लेगा क्यूंकि China इस लाहौरवासी हत्यारे का समर्थक है, संरक्षक भी | आनेवाले दिन बतायेंगे कि मोदी की बाजी कितनी कारगर रही ? दूसरा कारण, अनुमानित है कि व्यापारी प्रवृत्ति से अभिभूत Narendra Modi चीन की ‪#‎MakeInIndia‬ के तहत भारत में निवेश और शंघाई में भारतीय पूंजी के निवेश पर कुप्रभाव पड़ने से आक्रातं है | उनकी मानवता पर शुभलाभ की भावना हावी है | अब हिन्दू वीरगाथाओं के प्रशस्तिकर्ता नरेन्द्र मोदी रणथमभौर के चौहान राजा हम्मीर देव जैसे तो है नहीं जो शरणार्थी मुहम्मद शाह की रक्षा में अलाउद्दीन खिलजी से जा भिड़े और शहीद हो गये| देशहित से वाणिज्य ऊँचा होता है शायद | तीसरा कारण है कि पंडिताइन Sushma Swaraj (आज अस्पताल में है) और ठाकुर Rajnath Singh की टकराहट में प्रधानमंत्री ने अपनी काबिना में दूसरे पायेदान पर आसीन गृह मंत्री का पक्ष लिया है | क्या मजाक है की विदेश मंत्रालय इस उइगर राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता को वीसा दे दे | गृह मंत्रालय उसे ख़ारिज कर दे |
इस पूरे प्रकरण में तुर्रा ये है कि चीनी मुस्लिम वीप्लवी का वीसा निरस्त करने को वाजिब ठहराया गृह राज्य मंत्री किरन रिजीजू ने जो अरुणाचल प्रदेश से सांसद है | उन्हें चीन यात्रा का वीसा नहीं मिला था क्यूंकि विस्तारवादी चीन का मानना है की अरुणाचल तो चीन का भूभाग है और स्वराष्ट्र (चीन) आने हेतु अरुणाचली को वीसा की आवशकता नहीं | जब चीन के प्रधानमंत्री सीमावातीय हेतु दिल्ली आये थे तो भारतीय प्रतिनिधि मंडल में रिजीजू को शामिल नहीं किया गया था | तो क्या तब श्री नरेन्द्र मोदी चीन की भबकी से सहम गए थे कि उनके गृह राज्य मंत्री कि उपस्थिति चीन के प्रधानमंत्री को नागवार गुजरेगी? डोलकुन ईसा का प्रसंग इसी मानसिकता के आलोक में देखें |
के विक्रम राव
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वरिष्ठ पत्रकार के० विक्रमराव की फेसबुक वाल से साभार

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