लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुये त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन भले ही बहुत अच्छा नहीं रहा लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में पार्टी ने चुनावी कौशल और प्रबन्धन से 17 जिलों में अपने प्रत्याशियों को निर्विरोध जितवा लिया ।
जीत के प्रति आश्वस्त दिख रही समाजवादी पार्टी ,भाजपा के चुनावी प्रबन्धन के आगे बौनी नजर आई और उसने खीज में 11 जिलों के अध्यक्ष को हटा दिया । सपा ने इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग को भी की कि उसके प्रत्याशियों को पर्चा भरने से रोका गया । सपा सिर्फ इटावा सीट जीतने में कामयाब रही । यहां भाजपा की ओर से जिला अध्यक्ष पद का पर्चा तक नहीं खरीदा गया ।
नामांकन पत्र की वापसी का दिन 29 जून है और इसी दिन निर्विरोध चुने गये प्रत्याशियों को सार्टिफिकेट दे दिया जायेगा ।अब 3 जुलाई को इन 18 जिलों के अलावा शेरूा बचे 57 जिलों में मतदान होगा । अधिकतर जिलों में सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है ।
सपा ने इटावा सीट जीती तो भाजपा के हिस्से मेरठ,गौतमबुद्धनगर,गाजियाबाद,बुलंदशहर,अमरोहा,मुरादाबाद,आगरा,झांसी ,ललितपुर,बांदा,मऊ,गोरखपुर,गोंडा,बलरामपुर,चित्रकूट,श्रावस्ती और वाराणसी सीट पर कब्जा किया । तीन कृषि कानून को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को कमजोर माना जा रहा था लेकिन पार्टी ने वहां छह सीट जीत कर अपने चुनावी प्रबन्धन का नमूना पेश किया ।
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने चुनाव को गंभीरता से नहीं लेने के आरोप में गोरखपुर,मुरादाबाद ,झांसी ,आगरा,मऊ,बलरामपुर,गौतमबुद्धनगर,श्रावस्ती,गोंडा ,ललितपुर और भदोही के जिला अध्यक्ष को हटा दिया ।