नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने ‘चुनावी बॉन्ड योजना’ को असंवैधानिक करार दिए गए अपने फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पार्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा और अन्य द्वारा दायर समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
पीठ ने इस मामले में खुली अदालत में सुनवाई के एक आवेदन को भी खारिज कर दिया।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश 25 सितंबर को पारित किया था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहा,“समीक्षा याचिकाओं के अवलोकन करने के बाद रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं मिली है। उच्चतम न्यायालय नियम -2013 के आदेश XLVII नियम एक के तहत समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए, समीक्षा याचिकाएं खारिज की जाती हैं।”
शीर्ष अदालत के नियमों के अनुसार, समीक्षा याचिका पर न्यायाधीशों द्वारा उनके कक्ष में संबंधित दस्तावेजों पर विचार किया जाता है।
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने 15 फरवरी 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था और संबंधित बैंक को बॉन्ड जारी करने पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया था।
पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए यह भी कहा था कि इससे राजनीतिक दलों को दान देने वालों के नाम जानने के नागरिकों के अधिकार और उनके बीच संभावित लेन-देन की व्यवस्था प्रभावित होती है।
अदालत ने बॉन्ड जारी करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को इससे संबंधित सभी आंकड़े चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत का यह फैसला एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं के पर आया था।
इसके बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े अपलोड होने पर पता चला कि राजनीतिक दलों ने करीब 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए थे।