नई दिल्ली, चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं कि जिन पांच राज्यों मंे चुनाव होने हैं, वहां के मुख्यमंत्री, मंत्री और राजनीतिक तौर पर नामित लोग तब तक सांविधिक इकाइयों के समक्ष दायर अपीलों की सुनवाई नहीं कर सकते, जब तक चुनावी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। आयोग का कहना है कि उनके फैसले मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।
आयोग ने उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब के प्रधान सचिवों और मुख्य चुनाव अधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि उसे मिली जानकारी के अनुसार, पांचों राज्यों में चार जनवरी को आदर्श आचार संहिता के लागू हो जाने के बावजूद मुख्यमंत्री, मंत्री और विभिन्न सांविधिक इकाइयों में राजनीतिक तौर पर नियुक्त पदाधिकारी अब भी लोगों द्वारा विभिन्न कानूनों के तहत दायर अपीलों पर सुनवाई कर रहे हैं। इस पत्र में कहा गया कि नेताओं की ओर से की जा रही सुनवाई मतदाताओं पर सीधे या परोक्ष तौर पर असर डाल सकती है और चुनाव के दौरान निष्पक्ष मुकाबले को बाधित कर सकती है। आयोग ने कहा है कि सांविधिक इकाइयों की ऐसी सभी सुनवाइयांे को आपके राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान संपन्न होने तक रोक दिया जाना चाहिए। यदि कानून के किसी प्रावधान या अदालती आदेश के कारण ऐसी कोई सुनवाई अनिवार्य हो जाती है, तो मुख्यमंत्रीःमंत्री या राजनीतिक तौर पर नियुक्त पदाधिकारियों की बजाय इसकी सुनवाई प्रधान सचिव द्वारा नामित सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए।