नयी दिल्ली, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बुधवार को राजधानी में बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। भारतीय अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट- आईआईआईडीईएम) में आयोजित इस कार्यक्रम में निर्वाचन आयुक्त डॉ. विवेक जोशी भी उपस्थित थे।
वर्तमान में, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के 109 बीएलओ इस दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। साथ ही, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुड्डुचेरी और तमिलनाडु के 24 निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और 13 जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) भी इसमें भाग ले रहे हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने मतदाता सूचियों को त्रुटि रहित रूप से अद्यतन करने में जिला निर्वाचन अधिकारियों और बीएलओ की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए इस बात पर बल दिया कि राज्य सरकारों को उप जिलाधिकारी (एसडीएम) स्तर के या समकक्ष अधिकारियों को ईआरओ के रूप में नामित करना चाहिए। उन्हें फिर वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए बीएलओ की नियुक्ति करनी चाहिए और जो उनके प्रभार के तहत मतदान केंद्र के सामान्य निवासी हों।
श्री कुमार ने इस बात पर बल दिया कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 के अनुसार, केवल सामान्य रूप से निर्वाचन क्षेत्र में निवास करनेवाले 18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के नागरिकों को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है। उन्होंने सभी सीईओ, डीईओ, ईआरओ को अपने-अपने स्तर पर सर्वदलीय बैठकें आयोजित करने और मतदाता सूची को सही तरीके से अद्यतन करने सहित अपने अधिकार क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए दिए गए निर्देशों का उल्लेख किया। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि ईआरओ या बीएलओ के विरुद्ध किसी भी शिकायत पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी बीएलओ को मतदाता सूची अद्यतन करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन के दौरान मतदाताओं के साथ बातचीत में विनम्र होना चाहिए।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि आयोग लगभग 100 करोड़ मतदाताओं के साथ खड़ा था, है और हमेशा खड़ा रहेगा।आयोग की एक विज्ञप्ति के अनुसार आगामी कुछ वर्षों में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में एक लाख से अधिक बूथ स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। औसतन 10 मतदान केंद्रों पर एक बीएलओ की नियुक्ति की जाती है। आयोग का मानना है कि अच्छी तरह से प्रशिक्षित ये अधिकारी देश भर में बूथ स्तर के अधिकारियों के पूरे नेटवर्क को मजबूत करने के लिए विधानसभा स्तर के मास्टर ट्रेनर्स (एएलएमटी) का दल बनाएंगे, जो 100 करोड़ मतदाताओं और आयोग के बीच संपर्क की प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होंगे।
यह अपने तरह का पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम क्षमता निर्माण कार्यक्रम कई चरणों में चलेगा। इसके पहले चरण में चुनाव वाले राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस प्रशिक्षण की योजना इस तरह से बनायी गयी है ताकि बूथ स्तर के अधिकारियों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, मतदाता पंजीकरण नियम 1960 और समय-समय पर जारी आयोग के निर्देशों के अनुसार उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से परिचित कराया जाय और वे मतदाता सूचियों के त्रुटि रहित रूप से अद्यतन करने के लिए प्रासंगिक फॉर्म भरने की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हों। उन्हें इस काम में सहायता के लिए डिज़ाइन किए गए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संबंधी अनुप्रयोगों से परिचित कराया जाएगा।
बीएलओ राज्य सरकार के अधिकारी होते हैं और जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) की स्वीकृति के बाद निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।