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चुनाव घोषित होते ही अवैध शराब के दाम में वृद्धि, पुलिस मूकदर्शक

wineलखनऊ,  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधानसभा चुनाव घोषित होते ही अवैध शराब तस्करों ने पैकेट बंद शराब के दाम में पांच से दस रुपये की वृद्धि कर दी है। वहीं आए दिन अवैध शराब बेचने वाले तस्करों को पकड़ने वाली पुलिस मूकदर्शक बनी बैठी है। उत्तर प्रदेश में निर्वाचन 2017 की तिथियां घोषित होने के साथ ही शराब माफियाओं के हौसले बढ़ गए हैं। अवैध शराब के कारोबार में जुटे लोगों को संरक्षण देने वाले इन माफियाओं ने लखनऊ में शराब के सामान्य दरों में वृद्धि करते हुए पांच से दस रुपये तक दाम बढ़ा दिए हैं।

वहीं, अवैध शराब की तस्करी करने वाले लोगों और एजेंटों को मिलने वाले रुपयों में भी वृद्धि हुई है। अवैध रूप से चलने वाले कारोबार पर पुलिस की लम्बे समय से नजर होने के कारण बड़े कारोबारियों ने इसमें भारी संख्या में महिलाओं को शामिल करना शुरू कर दिया है। क्राइम ब्रांच एक अधिकारी ने बताया कि लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है और इसमें वर्ष 2002 के बाद से शराब माफियाओं की सक्रियता बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों की उपयोगिता को देखते हुए माफियाओं ने अवैध शराब तस्करों व एजेंटों की भर्तियां की और इसमें अनपढ़ एवं कम पढ़े-लिखे लोगों को रोजगार देने के नाम पर जोड़ा है।

राजधानी लखनऊ में गांवों में ईंट-भट्ठों और कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए अवैध शराब बनाई जाती है और इसे सस्ते दामों पर बेचा जाता है। कई बार मजदूरों द्वारा खुद ही कच्ची शराब तैयार की जाती है। आंकड़ों की मानें तो लखनऊ में बीते तीन वर्षों में अवैध शराब बेचने वालों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है और इसमें करीब 2000 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं। वहीं शहर से जुटे मोहनलालगंज और मलिहाबाद क्षेत्रों में अवैध शराब की बिक्री जोरों पर है और सबसे अधिक तस्करों व एजेंटों की गिरफ्तारी भी इन्हीं क्षेत्रों से हुई है।

बीते वर्ष 2016 में मोहनलालगंज सर्किल से आबकारी अधिनियम में 177 और मलिहाबाद क्षेत्र 91 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। वहीं कृष्णानगर सर्किल तीसरे स्थान पर है और जहां पर आबकारी अधिनियम के तहत 45 बदमाशों को गिरफ्तार किया गया। बता दें कि यूपी पुलिस की तेज इकाई के रूप में लखनऊ पुलिस काम करती है और आए दिन राजधानी पुलिस द्वारा विभिन्न थाना क्षेत्रों में अवैध शराब तस्करों को गिरफ्तार किया जाता है। बावजूद छूटने के बाद से फिर वहीं तस्कर धंधे में सक्रिय हो जाते है।

 

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