मुंबई, उग्र हिंदुत्व की विचारधारा की पोषक शिवसेना ने इस बार के मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में अपना चोला बदलने की कोशिश की है। पार्टी ने पांच मुस्लिमों को अपना उम्मीदवार बनाया। इनमें से दो उम्मीदवार मुस्लिम बहुल इलाकों से जीतकर भी आए हैं। जीते उम्मीदवारों ने शिवसेना को मुस्लिमों का असली शुभचिंतक बताया है। 227 सदस्यों वाली बीएमसी के लिए शिवसेना ने सबसे ज्यादा 84 सीटें जीती हैं। उसने यह प्रदर्शन अकेले चुनाव लड़कर किया है।
बांद्रा के बेहरमपाड़ा इलाके से जीते हाजी हलीम खान ने कहा कि समाज के कुछ हिस्सों में माना जाता है कि शिवसेना मुस्लिम विरोधी है। वास्तव में ऐसा है नहीं। सेना ने हमेशा मुस्लिमों की मदद की है और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में विकास कार्य कराए हैं। अगर इस सबको देखेंगे तो पाएंगे कि शिवसेना किसी अन्य राजनीतिक दल की तुलना में मुस्लिमों के लिए ज्यादा काम करती है। इलाके की एक प्रमुख मस्जिद हम तब बनवा सके जब बाला साहेब ठाकरे ने हमारी मदद की थी। कांग्रेस की गढ़ रही सीट पर हलीम ने शिवसेना की टिकट पर जीत हासिल की है। अंबोली-जोगेश्वरी इलाके से जीतीं शाहिदा खान (52) भी शिवसेना की टिकट पर जीती हैं। उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में समस्या है तो शिवसेना जाति और मजहब देखे बगैर मदद करती है। इसमें दो राय नहीं कि पार्टी के भीतर हम हिंदुत्व के साये में रहते हैं। लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हिंदू समाज का बड़ा हिस्सा हैं लेकिन मुस्लिमों पर फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि पार्टी हमारी समस्याओं को निपटाने में कोई भेदभाव नहीं करती है।