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छात्रों को संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देते रहें शिक्षक : मल्लिकार्जुन खड़गे

नयी दिल्ली, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा है कि वे छात्रों को बराबर संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देते रहें ताकि इतिहास की मनगढ़ंत बातें बताने के प्रयासों को रोका जा सके।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि कुछ समय से देश में अनेकता में एकता के भाव को चोट पहुंचाने का प्रयास हो रहा है और इतिहास को मनमाने तरीके से भावी पीढ़ी को बताने का प्रयास किया जा रहा है। संवैधानिक मूल्यों पर हमला हो रहा है इसलिए शिक्षकों का दायित्व है कि देश के भविष्य को बराबर संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देते रहें।

मल्लिकार्जुन खडगे ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को यहां जारी संदेश में कहा,“मेरे प्रिय साथियों, आज शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या है। इस देश में डॉ एस राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। बहुत से लोगों की इच्छा थी कि राष्ट्रपति के रूप में उनका जन्मदिन 5 सितंबर को मनाया जाए। लेकिन उनका कहना था कि मेरा जन्म दिन अलग से मनाने के बजाय अगर इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाये तो मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करूंगा। इसी के बाद यह परंपरा आरंभ हुई।”

उन्होंने कहा,“प्राचीन काल से ही गुरु के रूप में शिक्षक का सम्मान हमारी संस्कृति रही है क्योंकि शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं, शिक्षा के साथ- साथ उनपर हमारे देश के भविष्य को आकार देने, समाज को ईमानदारी और सत्य की सही राह बताने की जिम्मेदारी होती है। वही राष्ट्र प्रेम, कड़ी मेहनत, लगन, समानता का महत्व सिखाते हुए हमारी अगली पीढ़ी का मागदर्शन और चरित्र निर्माण करते हैं। जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए हौसला पैदा करते हैं, इसलिए शिक्षकों के कठिन श्रम और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए के लिए हम हमेशा उनके आभारी रहेंगे।”

मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा,“मैं इस मौके पर देश भर के शिक्षको से अपील करता हूं कि वे भविष्य में अपने छात्रों को संवैधानिक मूल्यों के बारे में भी बताते रहें। संविधान के महत्व, संविधान की प्रस्तावना के बारे में भी यथासंभव पाठ्यक्रम में शामिल करने और ज्ञान देने का प्रयास करें। आप भारत की विविधता के बारे बच्चों को अवगत कराएँ। देश में ‘अनेकता में एकता’ के भाव पर जो पिछले समय प्रहार हुआ है उसके दुष्परिणामों से सचेत करेंगे और इतिहास को मनगढ़ंत तरीक़े से बताने के कुप्रयासों को रोकेंगे तो देश की भावी पीढी के लिए बहुत उपकार होगा।”