कई बार आप इतनी जल्दी में होते हैं कि जो मिल जाए वही खा लेते हैं, लेकिन किसी भी स्थिति में जंक फूड खाना समझदारी नहीं है। जंक फूड की आसान उपलब्धता और लाजवाब स्वाद की तड़प लोगों को इनसे दूर नहीं रहने देती है। आजकल हर गली, हर कोने में आपको एक न एक फास्ट फूड कॉर्नर आसानी से दिख जाएगा-सड़क हो या ऑफिस, कॉलेज हो या स्कूल की कैंटीन। कोई भी जगह इससे बची नहीं है। स्कूल की कैंटीन में, जहां हमारे देश के सबसे युवा नागरिक अपना अधिकतर खाली समय व्यतीत करते हैं, वहां भी खाने की अस्वास्थ्यकर चीजों की भरमार दिखती है।
ऐसे में अगर किसी बच्चे के सामने पिज्जा और बर्गर का विकल्प उपलब्ध होगा तो वह टिफिन में लाई हुई रोटी-सब्जी खाना क्यों पसंद करेगा? तेजी से बढ़ती जंक फूड संस्कृति की एक बड़ी बड़ी समस्या और है। ये चीजें कैलोरी के मामले में तो बेहद रिच होती हैं, लेकिन पोषक तत्वों का स्तर इनमें बहुत ही कम होता है। इनमें सोडियम, प्रॉसेस्ड शुगर और प्रिजर्वेटिव आदि की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इनमें कार्बोहाइड्रेट अधिक और फाइबर बेहद कम होता है। इन चीजों की प्रॉसेसिंग की प्रक्रिया में इनका विटामिन, खनिज और फाइबर नष्ट हो जाता है। यही वजह है कि बहुत ज्यादा फास्ट फूड खाने वाले बच्चे बेहद जल्दी मोटापे की चपेट में आते हैं, लेकिन उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है।
इस तरह का खान-पान न सिर्फ मोटापे का कारण बनता है बल्कि व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कार्डियोवास्कुलर बीमारियों के खतरे में लाने की वजह भी बनता है। ऐसे में अगर हमारी शारीरिक सक्रियता का अभाव हो, नियमित व्यायाम न किया जाए तो हमारे शरीर और दिमाग के लिए खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अगर आपको फास्ट फूड खाना पसंद हो तो भी इसे नियंत्रित मात्रा में इस्तेमाल करें किसी भी स्थिति में इसे अपने नियमित खान-पान का हिस्सा न बनाएं। हालांकि यह बात हम सब जाते हैं कि बहुत ज्यादा फास्ट फूड खाने से स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है, बावजूद इसके अगर इसकी लत लग जाए तो अल्कोहल या धूम्रपान की लत की ही तरह इससे पीछा छुड़ा पाना भी कठिन होता है।
खासतौर से बच्चों के मामले में यह बात पूरी तरह से सही साबित होती है जो सेहत से ज्यादा स्वाद को महत्वपूर्ण मानते हैं। पिछले दशक में हमारे देश में फास्ट फूड के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ा है। बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढने की यह भी एक बड़ी वजह है, खासतौर से उन शहरी इलाकों में जहां बच्चे अस्वास्थ्यकर खाना खाते हैं और कैलोरी से लबालब कार्बोनेटेड ड्रिंक पीते हैं और शारीरिक सक्रियता के मामले में बेहद पीछे रहते हैं। आउटडोर स्पोट्र्स और साइकलिंग की जगह ह्रश्वले स्टेशन और टेलीविजन ने ले ली है। टाइप-2 डायबिटीज कुछ साल पहले तक जहां बच्चों में बेहद कम दिखाई देती थी वहीं अब यह तेजी से बढने लगी है।
यह स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी है, क्योंकि डायबिटीज व्यक्ति को कई अन्य गंभीर स्वस्थ्य समस्याओं की चपेट में लाने का काम करती है, जैसे कि दिल की बीमारियां, किडनी की बीमारियां व अन्य समस्याएं। मोटापा बढने के साथ बच्चों में सांस लेने में तकलीफ और एलर्जी जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। बच्चों को जंक फूड की आदत लगने से रोकने का एक तरीका यह है कि उन्हें फास्ट फूड जॉइंट की चीजें खाने से रोकें और ऐसा तब हो सकता है जब घर में स्वस्थ फास्ट फूड तैयार हो। इन्हें बनाने के लिए सामान्य अस्वास्थ्यकर चीजों की जगह स्वास्थ्यवर्धक चीजें इस्तेमाल की जाएं। अगर आप घर में ही हैल्दी पिज्जा और बर्गर बनाएंगी तो बच्चे को ये उतने ही स्वादिष्ट लगेंगे जितने कि बाहर के फूड जॉइंट में मिलने वाले पिज्जा, बर्गर। इससे उन्हें बाहर के खाने की आदत नहीं लगेगी और वे स्वस्थ रहेंगे।
पिज्जा को करें रीडिजाइन: भारत में इटैलियन पिज्जा सबसे लोकप्रिय फास्टफूड में से एक है। इसे अगर थोड़ा सा रीडिजाइन कर दिया जाए तो यह बच्चों ही नहीं, बड़ों के लिए भी सेहतमंद बन सकता है। इसके बेस के लिए मोटे पिज्जा क्रस्ट की जगह ब्राउन ब्रेड का इस्तेमाल करें, मेयोनीज की जगह सफेद मक्खन लगाएं और इसे पोषक बनाने के लिए इस पर खूब सारी सब्जियों की परत लगाएं।
पाव भाजी: हालांकि पाव भाजी आम जंक फूड की तरह नहीं होता, लेकिन इसे पूरी तरह से हेल्दी बनाया जा सकता है। इसमें परंपरागत पाव की जगह ब्राउन ब्रेड या मल्टी ग्रेन पाव का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाजी में खूब सारी सब्जियां मिला सकते हैं।
सिवइंयां: छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी आजकल नूडल्स खाना बेहद पसंद करते हैं। अधिकतर नूडल्स मैदा अथवा पॉलिस्ड गेहूं के आटे के बने होते हैं जिनमें फाइबर और मिनरल की मात्रा बेहद कम होती है। इसके अलावा अक्सर मैदे को सफेद बनाने के लिए केमिकल ब्लीच का इस्तेमाल भी किया जाता है। ऐसे में अपने बच्चों को इंस्टंट नूडल्स खाने की आदत लगाने के बजाय उन्हें चावल या सूजी से बनी बर्मिसिली अथवा सिवइयां खाने की आदत लगाएं, इसे सब्जियों और सोया सॉस के साथ बनाएं। इससे इसका स्वाद भी लाजवाब बनेगा।
चीला-इंडियन पैनकेक: बेसन यानी चने के आटे से बनने वाला चीला फास्ट फूड का बेहद स्वास्थ्यकर विकल्प होता है, जिसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है और पोषक तत्वों की काफी ज्यादा। अपने बच्चों को इसे खाने की आदत लगाएं, इससे उन्हें प्रिजर्वेटिव वाले फास्ट फूड खाने की लत नहीं लगेगी।