जनता की बात सदन में रखने का अधिकार ही विशेषाधिकार है: प्रकाश जावड़ेकर
May 4, 2017
लखनऊ, लोकतंत्र में आस्था बनाये रखने के लिये सदन की कार्यवाही जिम्मेदारी से निभाने की जरुरत पर बल देते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मीडिया को हू-बहू रिपोर्टिंग करने की नसीहत दी है। श्री जावडेकर ने आज यहां विधानभवन में विधानसभा के नये सदस्यों के प्रशिक्षण (प्रबोधन) कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम दिन के पहले सत्र में कहा कि लोकतंत्र को बनाये रखने के लिये सदन की कार्यवाही सभी को जिम्मेदारी के साथ निभानी होगी। उन्होंने कहा कि सदन में शपथ लेने के बाद सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी हो जाती है। दल के हिसाब से शपथ नहीं दिलायी जाती। सभी एक ही शपथ लेते हैं। सदस्यों के विशेषाधिकार भी एक ही होते हैं। विशेषाधिकार विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं को प्रकट करने में बाधा न आये। यही विशेषाधिकार है। विशेषाधिकार का मतलब व्यक्तिगत तौर पर विशेष अधिकार मिलना नहीं है। ट्रेन और प्लेन रोकने के लिये विशेष अधिकार नहीं मिलते। नियम कानून के सामने सभी बराबर हैं।
जावडेकर ने कहा कि सदन, समिति और सदस्य तीन प्रकार के विशेषाधिकार हैं और यही विशेषाधिकार कभी कभी विधायिका और न्यायपालिका में टकराव का कारण बन जाता है। एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को तलब कर लिया था। इसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय के 22 न्यायाधीशों को सदन में पेश होने का आदेश दे दिया। उन्होंने कहा कि बडी मुश्किल से मामला शांत हुआ। उनका कहना था कि सदन में कही गयी, बात का न्यायालय या पुलिस में संज्ञान नहीं लिया जा सकता। सदस्य को सदन में मर्यादित ढंग से बोलने की छूट है। उन्होंने कहा कि सदन का काम कानून बनाना, सरकार का काम नीति बनाना और न्यायपालिका का काम उस पर नजर रखना है। लोकतंत्र में यदि सभी अपना-अपना काम करें तो टकराव नहीं होगा।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि संसदीय मर्यादा में जनता की बात सदन में रखने का अधिकार ही विशेषाधिकार है। विशेषाधिकार परम्पराओं से चलता है और उसी के आलोक में ही फैसले लिये जाते हैं। मंत्रियों और अधिकारियों की गाडियों से लाल-नीली बत्तियों को हटाये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस पहल का जनता ने दिल खोलकर स्वागत किया है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आचरण शालीन होना चाहिये। वीआईपी कल्चर आम आदमी को पसन्द नहीं आता। विधायकों से उन्होंने सदन के वेल में नहीं जाने की गुजारिश करते हुए कहा कि इससे संसदीय मर्यादा को चोट पहुंचती है। उन्होंने चुटकी ली कि विधायक भी क्या करें, हंगामा करने पर मीडिया ज्यादा कवरेज देता है। उन्होंने मीडियाकर्मियों से सकारात्मक खबरें छापने और दिखाने की अपील की। जावडेकर ने मीडिया को नसीहत दी कि सदन में जो हुआ है वही छापा या दिखाया जाये।
उन्होंने कहा कि सदस्यों को भी सावधान रहना होगा क्योंकि अब कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता, क्योंकि सदन का सीधे प्रसारण का समय आ गया है। अब सब कुछ सामने रहता है। इसलिये सदस्यों को भी अपना आचरण सदन के अनुरुप रखना होगा। कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय और पूर्व संसदीय कार्यमंत्री अम्मार रिजवी ने भी संबोधित किया।