एम पी वीरेन्द्र कुमार ने आज कहा कि उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कुमार ने जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भाजपा नीत राजग के साथ गठबंधन करने के मुद्दे पर वैचारिक मतभेद को अपने इस्तीफे की मुख्य वजह बतायी है। उन्होंने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि वह राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू को अपना त्यागपत्र भेज चुके हैं।
कुमार ने कहा कि कानूनी तौर पर वह नीतीश कुमार की पार्टी के सदस्य के रूप में उच्च सदन के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि वह महागठबंधन तोड़ कर भाजपा की अगुवायी वाले राजग से गठबंधन करने के नीतीश कुमार के फैसले से सहमत नहीं है। इसलिये उन्होंने अपनी संसद सदस्यता से त्यागपत्र देने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में जदयू, राजद और कांग्रेस के चुनाव पूर्व महागठबंधन से नीतीश कुमार द्वारा जदयू को अलग करने के विरोध में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की अगुवायी में कुमार सहित अन्य नेताओं ने बागी रुख अख्तियार कर लिया था। इनमें यादव और जदयू के एक अन्य सांसद अली अनवर अंसारी को पार्टी विरोधी गतिविधियों का दोषी मानते हुये नायडू पहले ही संसद सदस्यता के अयोग्य घोषित कर चुके हैं।
नीतीश कुमार की अगुवायी वाले गुट ने कुमार को जदयू की केरल इकाई के अध्यक्ष पद से पहले ही हटा दिया था। चुनाव आयोग ने भी जदयू के चुनाव चिन्ह पर शरद गुट के दावे को खारिज कर नीतीश कुमार की अगुवायी वाले गुट को ही वास्तविक जदयू बताया है। हाल ही में हुये गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत पर कुमार ने कहा ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत नहीं है। इस जीत की वजह कुछ और है।’’ कुमार उच्च सदन में केरल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह अप्रैल 2016 में राज्यसभा सदस्य बने थे और उनका कार्यकाल अप्रैल 2022 तक था।