रायबरेली, कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के रायबरेली संसदीय क्षेत्र में पार्टी को पहला झटका यहां तब लगा था जब आपातकाल से खिन्न जनता ने 1977 के चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
इस चुनाव में केवल यहीं नहीं पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था और वह सत्ता से बाहर हो गयी थी हालांकि इसके ढाई वर्ष के बाद ही इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने सत्ता में वापसी की। आपातकाल के बाद 1977 में चुनाव हुए में इंदिरा गांधी काे रायबरेली में उन्हें जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण से शिकस्त का सामना करना पडा था। लगभग ढाई साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद वर्ष 1980 में जब मध्यावधि चुनाव हुएए ताे यह अटकले लगायी जाने लगी कि इंदिरा शायद रायबरेली से चुनाव ना लड़ें।
खुद इंदिरा रायबरेली से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं थी। इसके कई कारण थे जिनमें एक ताे वहां से पिछला चुनाव हार चुकी थींए दूसरा कि उनके खिलाफ जनता पार्टी ने जबरदस्त याेजना बनायी थी। इस याेजना के तहत रायबरेली से जनता पार्टी ने अपनी दमदार नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया काे मैदान में उतारा था।
धुन की पक्की कांग्रेस नेत्री ने अपनी याेजना बनायी जिससे वह बगैर जोखिम लिये किसी भी कीमत पर संसद में पहुंचे। उन्होंने तय किया कि वह दाे सीटाें से चुनाव लड़ेंगी। एक रायबरेली और दूसरा आंध्रप्रदेश की मेडक सीट। रायबरेली की तुलना में मेडक सीट ज्यादा सुरक्षित थी। वर्ष 1977 में जब कांग्रेस काे हिंदी भाषी क्षेत्राें में करारी हार झेलनी पड़ी थीए तब दक्षिण ने ही कांग्रेस काे कुछ हद तक बचाया था। इसलिए उन्हाेंने मेडक सीट से भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था।
जनता पार्टी के नेता किसी भी हाल में इंदिरा गांधी काे संसद में पहुंचने से राेकना चाहते थे। इसलिए जिन दाे सीटाें पर इंदिरा गांधी चुनाव लड़ रही थींए उन दाेनाें सीटाें पर जनता पार्टी ने दमदार प्रत्याशी उतारा। रायबरेली में उनके सामने राजमाता सिंधिया थींए ताे मेडक में इंदिरा गांधी के खिलाफ एस जयपाल रेड्डी चुनाव मैदान में उतरे। श्री रेड्डी जनता पार्टी सरकार में मंत्री थे और ताकतवर नेता माने जाते थे लेकिन उनका सामना इस बार इंदिरा गांधी से हाे रहा था। क्या इंदिरा काे हरा कर जयपाल रेड्डी राजनारायण की याद ताजा करेंगेए यही सवाल उठ रहे थे। इधरए जनता पार्टी की किचकिच का असर भी दिख रहा था। जनता का माेह जनता पार्टी से भंग हाे रहा था।
चुनाव में इंदिरा गांधी की लाेकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हाेंने दाेनाें सीटाें पर भारी मताें से जीत दर्ज की। पारंपरिक सीट रायबरेली में उन्हाेंने राजमाता सिंधिया काे डेढ़ लाख से ज्यादा मताें से हराया। यह चुनाव उन्होंने कांग्रेस ;आइद्ध के बैनर तले चुनाव लड़ा था। उन्हें 2ए23ए903 मत मिले थेए जबकि राजमाता काे सिर्फ 50ए249 मत मिले। आंध्र प्रदेश की सीट मेडक से भी इंदिरा गांधी दाे लाख से ज्यादा मताें से जीती थीं। श्रीमती गांधी काे 3ए01ए577 मत मिले थेए जबकि जनता पार्टी के नेता एस जयपाल रेड्डी काे सिर्फ 82ए453 मतो से संतोष करना पडा था। बाद में इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ दी थी।
इसके अलावा रायबरेली सीट पर कांग्रेस को दो बार हार का सामना करना पडा जब वर्ष 1996 और 1998 में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने यहां से जीत हासिल की। आजादी के बाद से अब तक यहां 19 बार हुये चुनावों में 16 मर्तबा कांग्रेस का परचम लहराया है। कांग्रेस की मौजूदा प्रत्याशी सोनिया गांधी 2004 से यहां से सांसद है।