नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक आयोग बनाने की मांग करनेवाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि वे इसका एक हल निकालें और चार हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करें।
याचिकाकर्ता अंकुर शर्मा ने याचिका दायर कर मांग की है कि राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जाए ताकि राज्य से अल्पसंख्यकों के धार्मिक और भाषायी हित सुरक्षित रहें। याचिका में कहा गया है कि राज्य में करोड़ों रुपये अल्पसंख्यकों के नाम पर खर्च हो रहे हैं। राज्य में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है लेकिन 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में मुस्लिमों की आबादी 68.31 फीसदी है।
याचिका का जम्मू-कश्मीर की सरकार ने विरोध करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक्ट 1992 को जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं करने का ये मतलब नहीं है कि वहां के अल्पसंख्यकों को सुविधाएं नहीं मिलेंगी। राज्य सरकार ने दलील दी थी कि कोर्ट किसी खास मसले पर कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती है। आपको बता दें कि पिछले 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर नहीं करने पर केंद्र सरकार पर तीस हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे तुषार मेहता से कहा था कि अधिकतर मामलों में आपका रुख ऐसा ही रहता है।