नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय का उस आय से अधिक सम्पत्ति मामले में फैसला सोमवार को सुनाये जाने के लिए सूचीबद्ध नहीं हुआ है जिसमें दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता और अन्नाद्रमुक नेता वीके शशिकला आरोपी हैं। फैसला आगामी सप्ताह में किसी भी दिन सुनाया जा सकता है और गत छह फरवरी को न्यायमूर्ति पीसी घोष के नेतृत्व वाली एक पीठ के उस बयान के चलते इस बारे में अटकलों का बाजार गरम है जिसमें उसने संकेत दिया था कि फैसला एक सप्ताह के भीतर सुनाया जाएगा।
फैसले का बेसब्री से इंतजार है क्योंकि अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुनी गई शशिकला ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद के लिए पहले ही दावा कर दिया है। न्यायमूर्ति अमिताभ राय के साथ न्यायमूर्ति घोष ने गत वर्ष एक लंबी सुनवायी की थी और 19 वर्ष पुराने आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सभी आरोपियों को बरी करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय ने बेंगलुरू की विशेष अदालत के 2014 के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें जयललिता को दोषी ठहराते हुए उन्हें चार वर्ष की सजा और 100 करोड़ रपये का जुर्माना लगाया था।
जयललिता, शशिकला और उनके रिश्तदारों वी एन सुधाकरन और इलावरसी पर आरोप था कि उन्होंने जयललिता के 1991 से 1996 के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर 66.65 करोड़ रूपये की आय से अधिक सम्पत्ति जुटायी। निचली अदालत ने उन्हें भी दोषी ठहराया और चार वर्ष की सजा सुनाने के साथ ही 10.10 करोड़ रपये का जुर्माना लगाया। उच्चतम न्यायालय में शशिकला के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें यह मांग की गई है कि उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर तब तक शपथ ग्रहण करने से रोका जाए जब तब उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में फैसला नहीं आ जाता। मामला सुनवायी के लिए 17 फरवरी को सूचीबद्ध है।