लखनऊ , उत्तर प्रदेश के मथुरा में गत वर्ष दो जून को मथुरा में जवाहरबाग को खाली कराने के दौरान हुई हिंसक घटना की जांच के लिए गठित किए गये आयोग को निरस्त कर दिया गया है। राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव देवाशीष पण्डा ने आज यहां बताया कि जवाहरबाग हिंसा की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय जांच आयोग को सीबआई जांच के बाद निरस्त कर दिया गया है।
वर्ष 2016 दाे जून को मथुरा स्थित जवाहरबाग में धरना देने वाले अतिक्रमणकारियों से अदालत के आदेश पर परिसर खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने पुलिस को निर्देश दिये थे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर गये थे। अतिक्रमण हटाने के दौरान जवाहरबाग में धरना दे रहे अतिक्रमणकारियों ने पुलिस पर अंधाधुंध पथराव और गोलीबारी की थी। इस घटना में पुलिस अधीक्षक;नगर मुकुल द्विवेदी और फरह के थाना प्रभारी संतोष यादव की घटनास्थल पर मृत्यु हो गयी थी। इस घटना में कई प्रशासनिक और पुलिसकर्मी भी घायल हो गये थे। जवाहरबाग घटना में बडी संख्या में अतिक्रमणकारियों की भी मृत्यु हुई और अनेक लोग घायल हुए थे।
राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए सात जून 2016 को अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा को एकल सदस्यीय आयोग नियुक्त किया गया था। सरकार ने आयोग से दो माह में जांच पूरी करने की अपेक्षा की थी लेकिन आयोग का कार्यकाल तीन बार बढाकर 31 मार्च 2017 तक किया गया था। घटना के सम्बंध में उच्च न्यायालय में दायर की गयी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दो मार्च 2017 को जवाहरबाग घटना की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो ;सीबीआई से कराने के आदेश पारित किया था ।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक की राय है कि आयोग का निरंतर विद्यमान रहना अनावश्यक है और जांच आयोग को बंद किया जा रहा है। यह आयोग एक अप्रैल से अस्तित्वहीन हो गया है। आयोग ने राज्य सरकार को अपनी मोहरबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। आयोग के निरस्त होने के बाद कार्यालय के लिए उपलब्ध कराये गये अन्य उपकरण आगामी बीस अप्रैल तक राज्य सरकार को लौटाये जायेंगे। आयोग को तत्पश्चात कोई भुगतान नहीं किये जायेंगे।