नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल में दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ममता सरकार अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल कर लोगों की आस्था पर रोक नहीं लगा सकती है।
हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, “क्या आप ये भी नहीं समझते कि ‘नियमन और निषेध के बीच अंतर है।” मूर्ति विसर्जन पर सरकार के रवैये से नाराज मुख्य न्यायधीश ने यहां तक कह डाला कि “आप बिना किसी आधार के चरम शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं।’
कोर्ट ने प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, “यदि आपको कोई सपना आता है कि कहीं कुछ गलत हो जाएगा, तो आप इसकी रोकथाम के लिए सीधे सीधे प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं। ‘इस मु्द्दे पर एक दिन पहले भी कोलकाता हाईकोर्ट प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगा चुका है। कोर्ट ने एक दिन पहले भी प्रदेश सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि, “आखिर दोनों तबके के लोग एक साथ अपना त्योहार क्यों नहीं मना सकते? कोर्ट ने ये भी कहा था कि जब राज्य में दोनों समुदाय शांति के साथ रहना चाहते हैं तो आप अपनी तरफ से भेदभाव वाले कदम क्यों उठा रहे हैं।
यह विवाद उस समय खड़ा हुआ जब प्रदेश की ममता बनर्जी सरकार ने एक अक्तूबर को मुहर्रम होने की वजह से उस दिन प्रतिमाओं के विसर्जन पर पाबंदी लगा दी थी। इसके अलावा शुरूआत में प्रतिमाओं के विसर्जन का समय केवल शाम छह बजे तक सीमित रखा गया था।
पहले दशमी के दिन शाम छह बजे तक ही विसर्जन की अनुमति थी, लेकिन अदालती हस्तक्षेप के बाद सरकार ने इसे बढ़ा कर रात दस बजे तक कर दिया था। सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की।