मथुरा , कोरोना संक्रमण ने जन्माष्टमी पर वृन्दावन के तीन मंदिरों में शताब्दियों से चली आ रही परंपरा को तार तार कर दिया है तथा मंदिरों के बन्द होने के कारण तीर्थयात्री इस बार मन्दिरों का प्रसाद पाने तक से वंचित हो सकते हैं।
दुनिया भर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रात में मनाने की परंपरा है वहीं वृन्दावन के तीन मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिन में मनाई जाती है। इन तीन देवालयों में राधारमण मन्दिर एवं राधा दामोदर मन्दिर वृन्दावन के सप्त देवालयों में प्रमुख मन्दिर हैं। तीसरा देवालय टेढ़े खम्भेवाले मन्दिर के नाम से मशहूर शाह जी मंदिर है। परंपरा के अनुसार इन तीनों मन्दिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर का अभिषेक कई मन दूध, दही, बूरा, शहद, घी तथा औषधियों से कई घंटे किया जाता है तथा अभिषेक पूरा होने और आरती के बाद यह चरणामृत वृन्दावनवासियों एवं तीर्थयात्रियों में बंट जाता है।
राधादामोदर मन्दिर के सेवायत आचार्य कनिका गोस्वामी ने बताया कि वृन्दावन की परंपरा यह है कि यहां के निवासी इन तीन मंदिरों में से किसी एक मन्दिर से चरणामृत लेकर उसका पान करते हैं और तभी कुछ फलाहार आदि ग्रहण करते हैं। यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। इस बार करोनावायरस के संक्रमण को रोकने की दिशा में लगे प्रतिबंधों विशेष रूप से सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम के कारण ही जन्माष्टमी पर जिस प्रकार श्रद्धालुओं के लिए मन्दिर नही खुलेंगे,उसी प्रकार चरणामृत लेने के लिए आनेवाली भीड़ के कारण इस बार राधा दामोंदर मन्दिर के बाहर चरणामृत का वितरण नही होगा क्योंकि चरणामृत के वितरण के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल होगा।
उन्होने स्पष्ट कहा कि उनके मन्दिर में किसी भी श्रद्धालु का प्रवेश नही होगा। इसी प्रकार शाह जी मन्दिर में भी जन्माष्टमी दिन में मनाकर श्रद्धालुओं में पंचामृत का वितरण करने की परंपरा है।
मंदिर के सेवायत आचार्य प्रशांत शाह ने बताया कि मन्दिर में इस बार भी जन्माष्टमी दिन में विधि विधान से मनाई जाएगी तथा उसमें किसी प्रकार की कमी नही होने दी जाएगी किंतु मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के प्रतिबंधों को पालन कराने विशेष रूप से सामाजिक दूरी बनाए रखने में आनेवाली अड़चन के कारण इस बार वृन्दावनवासियों तथा तीर्थयात्रियों में पंचामृत का वितरण नही किया जाएगा।