नयी दिल्ली, दो साल में तीन मामलों में बरी होने के बाद स्वयंभू साधु असीमानंद अब आजाद है। धार्मिक उपदेशक के तौर पर कई उपनामों से पहचाने जाने वाले असीमानंद को पंचकूला की एक विशेष अदालत ने बुधवार को समझौता ट्रेन विस्फोट मामले में बरी कर दिया। असीमानंद को एक समय भारत में सबसे अधिक वांछित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। वर्ष 2007 में भारत में हुए तीन बम विस्फोटों में कथित भूमिका के लिए उनका नाम सामने आया था।
इसकी शुरुआत भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में 17 और 18 फरवरी की दरम्यानी रात में विस्फोट की घटना से हुई जिसमें 68 लोग मारे गये थे। इसके बाद 18 मई को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में नौ लोग मारे गये थे। इसी साल अक्टूबर में अजमेर की ख्वाजा चिश्ती दरगाह में हुए विस्फोट में तीन लोग मारे गये थे। करीब 67 वर्ष के असीमानंद इन तीनों आतंकवादी घटनाओं में बरी किये गये।
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में जन्में नब कुमार सरकार को कई उपनामों जैसे जतिन चटर्जी और ओंकारनाथ आदि से भी जाना जाता है। हालांकि इतने सारे नामों में सबसे ज्यादा चर्चित असीमानंद रहा। समझौता एक्सप्रेस ट्रेन मामले में असीमानंद के साथ तीन अन्य लोगों लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिन्दर चौधरी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया। उन्होंने 1971 में विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन उनकी रूचि कहीं और थी और वह स्कूल के दिनों से ही दक्षिणपंथी समूहों के साथ जुड़ गए और पुरुलिया तथा बांकुरा जिलों में वनवासी कल्याण आश्रम के साथ पूरे समय काम करते रहे। जांचकर्ताओं ने बताया कि आश्रम में 1981 में नब कुमार सरकार का नाम स्वामी असीमानंद रखा गया था।