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जानिये, क्या है चारा घोटाला और उससे लालू यादव का कनेक्शन…

नई दिल्ली,  सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद को करारा झटका देते हुए अपने फैसले में कहा कि लालू पर चारा घोटाला के शेष पांचों मामलों में भी मुकदमा चलेगा। लालू पहले ही एक चारा घोटाला मामले में दोषी साबित हो चुके हैं और उसके खिलाफ उनकी अपील शीर्ष न्यायालय में लंबित है।

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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की सदस्यता वाली पीठ ने रांची उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि सभी मामलों में सभी आरोपों को लेकर उन पर मुकदमा चलेगा। रांची उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि लालू को एक चारा घोटाला मामले में दोषी साबित किया जा चुका है, इसलिए अन्य मामलों में उन पर मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है।

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 पीठ ने साथ ही मुकदमे की कार्रवाई नौ महीने के भीतर पूरी करने का भी निर्देश दिया। शीर्ष न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि एक ही न्यायाधीश एक मामले में समान तथ्य होने पर भी एक आरोपी के लिए अलग और लालू प्रसाद के लिए अलग फैसला कैसे सुना सकते हैं। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से देरी पर भी आपत्ति जताई और जांच एजेंसी के निदेशक को मामले की जांच करने तथा इसके लिए जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए।

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 10 प्वाइंट में जानें क्या है चारा घोटाला और लालू का कनेक्शन…

1. करीब 900 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा मुख्य आरोपी हैं। कहा जा सकता है कि इस घोटाले के चलते ही बिहार पर लालू के एकछत्र राज का अंत हुआ था।

2. साल 1996 में सामने आया चारा घोटाला पिछले करीब 20 साल से जारी था। इसमें जानवरों के लिए चारा, दवाएं और पशुपालन से जुड़े उपकरणों को लेकर घोटाले को अंजाम दिया गया। इसमें नौकरशाहों, नेताओं और इस बिजनेस से जुड़े लोग भी शामिल थे।

3. साल 2013 में इस मामले से जुड़े 53 में से 44 मामलों में सुनवाई पूरी हुई। मामले से जुड़े 500 से ज्यादा लोगों को दोषी पाया गया और विभिन्न अदालतों ने उन्हें सजा सुनाई। इसी साल अक्टूबर में चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई। बाद में इसी साल दिसंबर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई।

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 4. जांच के दौरान सीबीआई ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के इस घोटाले के संबंधों का खुलासा किया। इसके बाद 10 मई 1997 को सीबीआई ने बिहार के राज्यपाल से लालू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसी दिन इस मामले से जुड़े बिजनेसमैन हरीश खंडेलवाल एक रेल पटरी पर मृत पाए गए।

5. राज्यपाल की अनुमति मिलते ही 17 जून 1997 को सीबीआई ने बिहार सरकार के पांच बड़े अधिकारियों को हिरासत में ले लिया। इनमें महेश प्रसाद, के. अरुमुगम, बेक जुलियस, फूलचंद सिंह और रामराज राम के नाम शामिल हैं।

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 6. 23 जून 1997 को सीबीआई ने लालू यादव और 55 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा भी थे। जगन्नाथ मिश्रा को अग्रिम जमानत मिल गई, लेकिन लालू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। इसी दिन बिहार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन उन्हें जेल भेज दिया गया।

7. चारा घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री लालू यादव के खिलाफ रोष बढ़ने लगा तो उनकी पार्टी जनता दल में भी उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर आवाजें उठने लगीं। इस बीच लालू ने 5 जुलाई को जनता दल के लगभग सभी विधायकों को लेकर अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बना ली।

8. अलग पार्टी बनाने के बावजूद भी लालू यादव की मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बच पायी। आखिरकार 25 जुलाई को इन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवा दिया। 28 जुलाई 1997 को राबड़ी देवी की सरकार ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से विश्वासमत हासिल कर लिया।

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 9. 135 दिन न्यायिक हिरासत में रहने के बाद लालू यादव 12 दिसंबर 1997 को रिहा हुए। इसके बाद 28 अक्टूबर 1998 को उन्हें चारा घोटाले के ही एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पटना की बेऊर जेल में रखा गया। जमानत मिलने के बाद 5 अप्रैल 2000 को उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। इस बार उन्हें 11 दिन जेल में बिताने पड़े। इसके बाद 28 नवंबर 2000 को लालू यादव ने चारा घोटाला मामले में ही 1 दिन और जेल में गुजारा।

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 10. चारा घोटाले से जुड़े अलग-अलग मामलों में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा से साल 2000 में पुलिस ने कई बार पूछताछ की। साल 2007 में 58 पूर्व अधिकारियों और सप्लायरों को दोषी ठहराया गया और 5-6 साल की सजा सुनाई गई। मामला हाथ में लेने के 16 साल बाद एक मार्च 2012 को सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

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