नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर ने देश में अपराधियों और उनके रहनुमाओं के बुलंद हौसले का जिक्र करते हुए आज कहा कि जो जितना बड़ा अपराधी है, उसकी उतनी बड़ी पहुंच होती है। न्यायमूर्ति केहर ने बम विस्फोटों, तेजाब हमलों और बलात्कार की घटनाओं के शिकार लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए न्यायिक सेवा प्राधिकरणों से अपील की कि वे ऐसे लोगों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहें।
किसी खास मुकदमे का नाम लिये बिना न्यायमूर्ति केहर ने कहा कि यहां तक कि पुनर्विचार याचिकाएं निरस्त होने के बाद भी आतंकवादियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए बहुत सारे लोग आगे आते हैं, लेकिन बम विस्फोटों, तेजाब हमलों और अन्य घटनाओं के पीड़ितों के कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए कोई सामने नहीं आता। उनका इशारा 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन की ओर थी, जिसकी फांसी की सजा पर रोक के लिए कई अधिवक्ता और सामाजिक संगठन सामने आये थे और रात में सुनवाई की गयी थी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हमारा देश भी विचित्र है, जो जितना बड़ा अपराधी होता है, उसकी उतनी बड़ी पहुंच होती है। लेकिन मुझे इस बात को लेकर हैरानी होती है कि उन परिवारों का क्या, जिन्होंने इन आपराधिक घटनाओं में अपने प्रियजनों को खोया है। उन्होंने कहा, तेजाब हमलों की उन पीड़ितों का क्या जिनके चेहरे खराब हो गये और समाज में जीने लायक उनकी स्थिति नहीं रहती। मैं उन बलात्कार पीड़िताओं के बारे में सोचता हूं, जिनके लिए कोई कानूनी सहायता का हाथ सामने नहीं आता। वह राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों की 15वीं अखिल भारतीय बैठक के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश दीपक मिश्रा, विधि एवं न्याय राज्य मंत्री पी पी चौधरी और अन्य न्यायिक अधिकारी भी उपस्थित थे।