लखनऊ/नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश की भाजपा प्रदेश इकाइयां जीत का मंत्र जानने के लिए उत्तर प्रदेश भाजपा से संपर्क कर रही हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश की भाजपा इकाइयों ने उत्तर प्रदेश भाजपा से चुनावी रणनीति जाननी चाही है, जिसके दम पर भाजपा ने इतना जोरदार प्रदर्शन किया। नेता ने बताया कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक से भी ऐसे ही आग्रह आये हैं। इन राज्यों में 2018 में चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश की चुनावी रणनीति से अन्य राज्यों की पार्टी इकाइयां खासी प्रभावित हैं। उन्होंने पावर प्रेजेंटेशन बनाने को कहा है। वे बुकलेट भी चाहते हैं, जिसमें जीत के मंत्र लिखे हों।
लोकसभा के अगले चुनाव 2019 में होने हैं। इसके लिए भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई संभवतः 26 मई 2017 से तैयारियां शुरू कर देगी। नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। चुनाव प्रबंधन टीम की बैठक में भाजपा नेताओं ने उत्तर प्रदेश की जीत की चार प्रमुख वजहें गिनायीं। प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बताया कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की उपलब्धियों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। त्रिपाठी ने बताया कि केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 52 लाख गैस कनेक्शन उपलब्ध कराये गये। यह कदम पार्टी की सफलता का बड़ा कारण बना। समाज कल्याण से जुड़ी इस महात्वाकांक्षी योजना की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक मई 2016 को बलिया जिले से की थी।
उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण, जनधन योजना, किसानों को समय पर यूरिया की उपलब्धता और किसान बीमा योजना भी पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन की वजह बनीं। पार्टी नेताओं ने माना कि सुनील बंसल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने सुनिश्चित किया कि पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी नहीं हो पाये। त्रिपाठी ने बताया कि इस बार 209 प्रत्याशी पहली बार जीतकर विधायक बने हैं। उन्हें विधायी कार्य के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। सबसे कम उम्र के विधायक संदीप सिंह हैं, जो राजस्थान के राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते हैं। संदीप सिंह की आयु 25 वर्ष है। विधानसभा चुनाव में भाजपा 78 सीटों पर पराजित हुई। इनमें से 58 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे जबकि 17 सीटों पर प्रत्याशी तीसरे स्थान पर आये। तीन विधानसभा सीटों पर पार्टी चौथे या और नीचे के पायदान पर रही। त्रिपाठी के मुताबिक भाजपा और उसके सहयोगी दलों अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा और 403 सदस्यीय विधानसभा में 325 सीटों पर जीत दर्ज की।