श्रीनगर, शॉल पर कढ़ाई करने वाले कारीगर फारूक अहमद दार ने कहा है कि वह पथराव करने वाला नहीं बल्कि एक छोटा आदमी है और वह केवल वोट देने के लिए घर से बाहर गया था। सेना ने पिछले महीने दार को जीप की बोनट से बांधकर शहर भर में घुमाया था। दार को जीप से बांधने वाले मेजर लीतुल गोगोई ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उस पर सुरक्षा बलों पर पथराव करने वाले लोगों के समूह में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसे उसने खारिज कर दिया।
दार ने कहा, अगर ऐसा होता तो वे मुझे पुलिस को सौंप देते। उसने कहा कि संबंधित मेजर को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किए जाने के बारे में जानकर उसे ताज्जुब हुआ। दार ने सवाल किया, क्या किसी व्यक्ति को कई किलोमीटर तक खींचना बहादुरी का काम है? उसने याद किया कि वह नौ अप्रैल को श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव के लिए मतदान करने के बाद वह अपने एक रिश्तेदार की शोकसभा में हिस्सा लेने जा रहा था और रयार गांव के पास मेजर ने उसे उठा लिया और उसका इस्तेमाल कश्मीर में पथराव करने वालों के खिलाफ मानव कवच के रूप में किया।
दार ने बताया, रयार में सेना के 13 राष्ट्रीय राइफल के शिविर के सामने छोड़े जाने से पहले मुझे कई गांवों में घुमाया गया था। मेजर ने हालांकि मीडिया के समक्ष दावा किया कि दार को सैनिकों ने पथराव करते समय पकड़ा था। सैन्य अधिकारी ने कहा कि फारूक अहमद डार नाम के शख्स को जीप के बोनट से बांधने का विचार उनके दिमाग में अचानक कौंधा ताकि मतदान कर्मियों और अर्धसैनिक बल के जवानों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला जा सके और किसी को किसी तरह का नुकसान भी नहीं हो।
उन्होंने कहा कि डार को जीप से बांधे जाने के बाद कुछ देर के लिए पत्थरबाजी थम गई और इससे मतदान कर्मियों और अर्धसैनिक बल के जवानों को सुरक्षित निकलने का मौका मिल गया। बडगाम जिले में अपने बीरवाह कैंप में पत्रकारों से बातचीत में घटना की विस्तार से जानकारी देते हुए गोगोई ने पत्रकारों को बताया, मैंने सिर्फ स्थानीय लोगों को बचाने की खातिर ऐसा किया। यदि मैंने गोली चलाई होती तो 12 से ज्यादा जानें जातीं, इस विचार के साथ मैंने कई लोगों की जिंदगी बचाई।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि मामले की जांच जारी है, क्योंकि प्राथमिकी निरस्त नहीं की गई है। थलसेना की कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी भी चल रही है। पुलिस महानिरीक्षक मुनीर खान ने कहा, जांच की जाएगी और नतीजा साझा किया जाएगा। बहरहाल, डार इससे खुश नहीं हैं। जांच के बारे में उन्होंने कहा, यह पूरी तरह छलावा है। डार ने कहा, वे कभी गंभीर नहीं थे। मैं एक छोटा आदमी हूं और कोई मेरा ख्याल क्यों रखेगा? शॉल पर कढ़ाई का काम करने वाले कारीगर फारूक अहमद डार ने कहा कि वह पथराव करने वाला नहीं बल्कि एक छोटा आदमी है और वह केवल वोट देने के लिए घर से बाहर गया था।