जीरो एफआईआर से सुधरेगी महिलाओं की स्थिति- अमिताभ

amitabhमुंबई, बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन की हालिया रिलीज पिंक एक ऐसी फिल्म है, जिसमें लड़कियों के प्रति समाज के एक वर्ग की धारणा को दिखाने की कोशिश की गई है। फिल्म में जीरो एफआईआर प्रणाली पर प्रकाश डाला गया। साथ ही इस पर रोशनी डाली गई कि कितनी महिलाओं को उन कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में नहीं पता, जो उनकी मदद कर सकती हैं। फिल्म में वकील के किरदार में नजर आए अमिताभ का कहना है कि मंत्रियों ने इस बात की उम्मीद दिलाई है कि महिलाओं के लिए एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को जल्द ही आसान बनाया जाएगा। जरूरी कानूनी बदलाव भी किये जाएंगे। पिंक एक फिल्म के साथ-साथ महिलाओं की बेहतरी के लिए अभियान भी है। इस फिल्म के असर के बारे में उन्होंने कहा, हमने नहीं सोचा था, लेकिन जिस प्रकार की प्रतिक्रियाएं हमें मिली हैं और जिस प्रकार का प्रभाव इसने निजी तौर पर लोगों पर डाला है, विशेषकर महिलाओं पर उससे काफी खुश हूं। इस फिल्म ने कमाई भी अच्छी की है। समय गुजरने के साथ-साथ इसकी कमाई बढ़ती जा रही है।

अमिताभ ने कहा, लोगों की जुबान फिल्म के लिए काफी काम करती है। इसके लिए एक अलग से कोई विपणन क्षेत्र नहीं होता। कहीं न कहीं शूजित सरकार ने काफी आत्मविश्वास से यह फिल्म बनाई है। लोगों ने जब यह फिल्म देखी तो प्रतिक्रियाएं दीं। जो सही मायने में फिल्म का प्रचार था। हकीकत में यही हुआ है। काफी कम फिल्मों में ही लोगों की मानसिकता को बदलने की क्षमता होती है। पिंक उनमें से एक है। इस अभियान में किसी अन्य फिल्म को भी जोड़ने के बारे में अमिताभ ने कहा कि हर फिल्म का अपना एक अलग संदेश होता है। अभिनेता के लिए अन्य फिल्मों में कोई भिन्नता नहीं होती, क्योंकि यह बेकार की चीज होती है। महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को उठाने वाली और एफआईआर दर्ज करने की प्राथमिकता दर्शाने वाली पिंक के बारे में अपने बयान में अमिताभ ने कहा कि कुछ सरकारी मंत्रियों ने इसे देखा है और उन्होंने एक उम्मीद बंधाई है कि वे कानूनों में बदलाव करेंगे।

पिंक में इस बात को स्पष्ट किया गया है कि एक महिला की ना का मतलब ना होता है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के कम होने की संभावना के बारे में कहा, मेरा मानना है कि शिक्षा, कानून, नैतिक और सामाजिक क्षेत्र में बदलाव की प्रक्रिया में सचेत प्रयास से सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। माता-पिता के संस्कार और युवाओं में कुछ नैतिक जीवन मूल्यों का होना काफी जरूरी है। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से लड़ने के बारे में बातें होती हैं। पर, क्या इस हिंसा को कम करने के लिए पुरुषों को शिक्षित करना जरूरी है? इस बारे में मेगास्टार ने कहा, हां, बेटों को भी इस संबंध में शिक्षित करना बेहद जरूरी है। उनका पालन-पोषण इस प्रकार किया जाये कि वे समानता के अधिकार और कर्तव्य को समझें। हां, कानून महिलाओं का पक्ष लेता है और कई मामले ऐसे रहे हैं, जहां इन कानूनों का गलत इस्तेमाल भी हुआ है। ऐसे में आशा है कि समय के साथ इसमें संतुलन बनेगा।

अमिताभ ने हाल ही में अपनी पोती आराध्या के लिए एक पत्र लिखा था, जिसके बाद कई लोगों ने इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने यह पत्र अपने पोते के लिए क्यों नहीं लिखा? इस पर अमिताभ ने कहा कि अगर आप उस पत्र को सही तरह से पढ़ें, तो आपको पता चलेगा कि वह जाहिर तौर पर लड़कियों को संबोधित है। जो लड़कों को भी एक संदेश देता है। हाल ही में न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने अमिताभ की बौद्धिकता पर आलोचनात्मक टिप्पणी की थी। इस अप्रत्याशित हमलों पर अमिताभ ने कहा, उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया, यह तो उन्हीं से पूछा जाना चाहिए? एक आजाद समाज में हर किसी को अपनी बात जाहिर करने का आधिकार है। मैं उनकी बात से सहमत हूं। वह सही हैं। मेरे दिमाग में ऐसा कुछ भी नहीं है। पिंक के बाद इस प्रकार के मजबूत सामाजिक संदेश देनेवाली फिल्मों को करने की इच्छा के बारे में अमिताभ ने कहा कि उन्होंने पहले ही कहा है कि हर फिल्म अपने आप में एक संदेश देती है।

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