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जेल जाने से पहले शशिकला ने लगाया ध्यान, जयललिता को दी श्रद्धांजलि

sasikala5-15-02-2017-1487147725_storyimageनई दिल्ली,  एआइएडीएमके प्रमुख शशिकला नटराजन का राजनैतिक भविष्य शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रही शशिकला को अब जेल जाना होगा। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को आत्मसमर्पण करने के लिए अधिक समय देने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उन्हें तुरंत सरेंडर करना होगा। शशिकला की अपील पर सुनवाई करते हुए जज ने उनपर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें लगता है कि शशिकला इमिडिएट का अर्थ जरूर जानती होंगी। इसके बाद शशिकला सरेंडर करने के लिए घर से निकल गई हैं। इससे पहले वो जयललिता की समाधि पर पहुंची और प्रार्थना की. श्रद्धांजलि देते हुए समाधि पर फूल चढ़ाए और माथा टेककर शपथ भी ली।

गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में शशिकला व उनके दो रिश्तेदारों वीएन सुधाकरन और जे. इलावरसी को बरी करने का कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला रद कर दिया था। कोर्ट ने तीनों को भ्रष्टाचार के जुर्म में चार- चार साल की कैद व दस – दस करोड़ रुपये जुर्माने की सजा पर अपनी मुहर लगाई थी। कोर्ट ने तीनों को सजा भुगतने के लिए तत्काल समर्पण करने का आदेश दिया है। सजा के बाद शशिकला कम से कम दस साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गयी हैं। जाहिर है कि मुख्यमंत्री का सपना बहुत दूर हो गया है।

फैसले में कोर्ट ने शशिकला और उनके रिश्तेदारों पर कड़ी टिप्पणियां भी की हैं। कोर्ट ने कहा कि तीनों साजिश के तहत जयललिता की संपत्ति पर कब्जा जमाने के लिए उनके घर पर एक साथ रह रहे थे। हालांकि जयललिता की मृत्यु हो जाने के कारण कोर्ट ने उनके खिलाफ मामला खत्म कर दिया है। कोर्ट ने बढ़ते भ्रष्टाचार पर भी चिंता जताई है। चुनाव लड़ने के अयोग्य:- भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी होने के कारण शशिकला दस साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गयी हैं। कानून के मुताबिक सजा पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने की अयोग्यता रहती है।

शशिकला शुरुआत में करीब एक महीने जेल में रही हैं बाकी की सजा उन्हें भुगतनी होगी। इस मामले में जयललिता शशिकला, सुधाकरन और इलावसी पर गैरकानूनी तरीके से 66.65 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप था जिसमें 53.60 करोड़ संपत्ति आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक पायी गई। शशिकला के मंसूबों पर पानी फेरने वाला यह ऐतिहासिक फैसला न्यायामूर्ति पीसी घोष व न्यायमूर्ति अमिताव राव की पीठ ने सुनाया है। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार और डीएमके नेता के. अनबजगन की अपीलें स्वीकार करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का 11 मई 2015 का आदेश रद कर दिया। हाईकोर्ट ने जयललिता सहित चारो अभियुक्तों को बरी कर दिया था। जबकि बगलूरू की ट्रायल कोर्ट ने भ्रष्टाचार के जुर्म में सभी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।

कैद और जुर्माने के अलावा ट्रायल कोर्ट ने चारों की संपत्तियां भी जब्त करने का आदेश दिया था। ट्रायल कोर्ट का फैसला सही:- सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि लोकसेवक को आपराधिक दुराचार के लिए उकसाने पर प्राइवेट व्यक्तियों को दोषी ठहराने का ट्रायल कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है। मौजूदा साक्ष्य और परिस्थितियों ये साबित हुआ है कि शशिकला, सुधाकरन और इलावरसी ने लोकसेवक को आपराधिक दुराचार के लिए उकसाया था और उसकी साजिश रची थी। परिस्थितियां देखने से पता चलता है कि जयललिता ने जया पब्लिकेशन के लिए शशिकला को जनरल पावर आफ एटार्नी दी थी इससे साबित होता है कि जयललिता कानूनी परिणामों से अपने को सुरक्षित रखना चाहती थीं।

जबकि वे जानती थीं कि इससे शशिकला जया पब्लिकेशन के खातों में पैसे का लेनदेन करेंगी। इसके अलावा संपत्ति गणना अवधि के दौरान विभिन्न कंपनियों का गठन भी पक्षकारों के बीच साजिश साबित करता है। इस बात के सबूत हैं कि एक दिन में 10 कंपनियां स्थापित हुईं। शशिकला और सुधाकरन ने अपनी अलग कंपनियां बनाई संपत्तियां खरीदीं जबकि उनकी कोई और व्यापारिक गतिविधि नहीं थी। सभी कंपनियां जयललिता के घर से संचालित होती थीं। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि जयललिता, शशिकला और बाकी दो की गतिविधियों से वाकिफ नहीं थीं। जबकि ये तीनों खून का रिश्ता न होने के बावजूद जयललिता के साथ उनके घर में रहते थे। तीनों दावा करते हैं कि उनके आय के स्त्रोत अलग हैं जबकि वास्तविकता ये है कि इन लोगों ने कंपनियों का गठन और जमीनें जयललिता के पैसे से खरीदीं।

जयललिता की संपत्ति हड़पने के लिये साथ रहते थे:- कोर्ट ने यहां तक कहा कि सभी अभियुक्त जयललिता के घर में इकट्ठे रहते थे इसके पीछे कोई सामाजिक कारण नहीं था और न ही जयललिता ने उन्हें मानवीय आधार पर मुफ्त रहने की इजाजत दी थी। सच्चाई यह है कि ये तीनों जयललिता की संपत्ति हथियाने की साजिश के तहत उनके साथ घर पर रहते थे। एक खाते से दूसरे खाते में पैसे के लेनदेन से साबित होता है कि ये जयललिता की गैरकानूनी कमाई को कंपनियों के नाम संपत्ति खरीदने में खपाने की साजिश थी। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दिये गए उपरोक्त कारणों से वह पूरी तरह सहमत है और उसके फैसले पर अपनी मुहर लगाते हैं।

 

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