नई दिल्ली, भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में विलय प्रक्रिया से अगले साल तक 10,000 से अधिक नौकरी जाने की आशंका है। क्योंकि मर्जर के बाद कंपनियों का संचालन एक हो जाएगा और बहुत सारी भूमिकाओं को डुप्लीकेट किया जाएगा जिससे की नौकरियों में कटौती अनिवार्य हो जाएगी। इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस कम्युनिकेशन और एयरसेल के आपरेशन के संयुक्त होने से करीब 3,000 नौकरियां जाने की आशंका है।
वहीं वोडाफोन-आइडिया के मर्जर से करीब 7,000 नौकरियां जा सकती हैं। इन दोनों ही कंपनियों का संचालन भारत में होता है। हालांकि आपरेटर्स या तो संभावित छटनी का खंडन करने से बच रहे हैं या तो वो आने वाली संभावनाओं को पहचान नहीं पा रहे हैं। कुमार मंगलम बिड़ला जो कि वोडाफोन-आइडिया विलय के बाद बनने वाली इकाई के अध्यक्ष होंगे ने कहा, कोई भी महत्वपूर्ण छटनी नहीं होगी।
वहीं एचआर सलाहकारों ने कहा कि दुनिया भर में विलय के कारण छंटनी हुई है। अलेक्जेंडर ह्यूजेस के भारत में संचालन इकाई के मैनेजिंग पार्टनर पंकज दत्ता ने बताया, विलय में कई भूमिकाएं दोहराई जाती हैं। जैसा कि आपके पास दो सर्किल हैड या दो प्रोक्योरमेंट हैड नहीं हो सकते हैं। और ऐसे स्थिति में प्रत्येक और हर भूमिका का मूल्यांकन किया जाता है। यह मूल्यांकन एक अच्छी तरह से परिभाषित एक प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है या विशुद्ध रुप से निर्णायक हो सकता है।