नई दिल्ली, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के फैसले ने एक तरह से दुनिया को चौंका दिया। हिलेरी की जीत का आंकलन करने वाले सर्वेक्षणों के परिणाम गलत साबित हुए। ट्रंप को पापुलर वोट भले ही हिलेरी क्लिंटन से कम मिले हों लेकिन ये तय हो गया कि अमेरिका में सत्ता अब रिपब्लिकन यानि ट्रंप के हाथ में होगी। ट्रंप की जीत को लेकर वैश्विक स्तर पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। मसलन अमेरिका और रूस के रिश्ते पहले से बेहतर होंगे, चीन और अमेरिका के रिश्ते में कड़वाहट आएगी। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते अब कौन सा आकार लेंगे। पीएम मोदी का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि हमारे रिश्तों में किसी तरह की नरमी रहेगी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा आयोजित भोेज में पीएम ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि ट्रंप शासन के दौरान भारत और अमेरिकी रिश्ते एक नई ऊंचाई हासिल करेंगे। जानकारों का कहना है कि बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका एक दूसरे के काफी करीब आए। पीएम मोदी और ओबामा के व्यक्तिगत रिश्तों में भी मजबूती आई। लेकिन ठीक वैसे ही रिश्ते ट्रंप के साथ होंगे इसके बारे में फिलहाल कुछ कह पाना मुश्किल है।
1990-2000 के दौरान रिपब्लिकन सरकार के दौरान भारत और अमेरिका के रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे थे। अमेरिकी राजनयिक रॉबिन राफेल ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर विवादित इलाका है। इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिका रक्षा सहयोग देने की पुरजोर वकालत की थी। पीएम मोदी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राफेल के पति की मौत पाकिस्तान में एयर क्रैश में हुई थी जिसमें पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया-उल-हक मारे गए थे। राफेल वर्ष 2000 तक असिस्टेंट सेक्रेटरी फॉर साउथ एशिया के पद पर तैनात थीं। 1999 में करगिल की लड़ाई के बाद बिल क्लिंटन की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार का रुख भारत के प्रति बदला। वर्ष 2000 के बाद से अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की तरफ से हटकर भारत की तरफ होने लगा
। जानकारों का कहना है कि ओबामा-मोदी के स्वभाव में एकरूपता न होने के बाद भी दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिकी रिश्ते को नया आयाम दिया है। पीएम बनने के बाद एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा था कि उनके विदेशी दौरे के पीछे एक खास मकसद ये भी था कि उनके बारे में मीडिया ने विश्व स्तर पर जिस तरह की छवि का निर्माण किया है, वो दूर हो सके। अगर आप विकास के पैमाने पर या वैश्विक स्तर पर देश को ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं तो दुनिया के नेताओं के साथ संतुलित और सकारात्मक संबंध होने चाहिए।