नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी संख्या में मुस्लिम वोट मिले हैं, जिसकी वजह भाजपा द्वारा उठाया गया ट्रिपल तलाक का मुद्दा माना जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (आरआरएम) ने ट्रिपल तलाक के विरोध में एक सिग्नेचर कैंपेन चलाया, जिसको देशभर से 10 लाख से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला। इन समर्थकों में ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुद्दे का विरोध करता रहा है।
आरएसएस के प्रमुख नेता और प्रचारक इंद्रेश कुमार का कहना है कि ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर राष्ट्रीयव्यापी चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के लिए जरूरी है कि ट्रिपल तलाक को खत्म करके मुस्लिम समाज के सुधार किया जाए। भाजपा भी इस बात को मान रही है कि यूपी में जीत के लिए पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाने में मुस्लिम वोटों की अहम भूमिका रही है। महिला सशक्तीकरण के इस युग में महिलाओं ने अपना हित देखकर वोट किया। ट्रिपल तलाक का मुद्दा उठाकर भाजपा मुस्लिम महिलाओं की हितैषी बन गई और सत्ता तक पहुंच गई। इलाहाबाद वेस्ट से नए निर्वाचित विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि पार्टी द्वारा शुरू की गई योजनाओं ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया है, जिसमें उज्जवल योजना जिसके तहत गरीब महिलाओं को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराए गए और स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनवाना शामिल हैं। वहीं एमआरएम के राष्ट्रीय समन्वयक मोहम्मद अफजल ने सिग्नेचर कैंपेन का समर्थन करते हुए कहा कि देश में बदलाव आ रहा है। महिलाएं अपनी आजादी के प्रति जागरुक हो रही हैं। सरकार उनकी दबी हुई आवाज को उठाए इसलिए समर्थन मिल रहा है। देश के प्रति प्रेम की भावना को बताते हुए अफजल ने सैफुल्ला का उदाहरण देते हुए कहा कि आतंकी के मारे जाने पर भी पिता ने बेटे के शव को लेने से इसलिए इंकार कर दिया, क्योंकि वे देश के हित में गलत काम कर रहा था। वहीं आफरीन के गाने के खिलाफ जारी फतवे का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात को धर्म से जोडना सही नहीं है।