नई दिल्ली, उद्योग मंडल एसोचैम ने संसद में पेश केन्द्रीय बजट को उद्योगों, कामगारों तथा छोटे कर दाताओं के अनुकूल बताते हुए राजनीतिक वित्तपोषण को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से कदम उठाने के लिए केन्द्र सरकार की सराहना की है।
एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने एक बयान में कहा कि नोटबंदी के बाद ग्रामीण रोजगार खासकर लघु एवं मंझोले उद्योगों को वित्तीय ताकत की फौरी जरूरत थी। बजट में 50 करोड़ रुपए से कम कारोबार वाले लघु तथा मंझोले उद्योगों के लिए कारपोरेट कर में कमी लाया जाना, एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन भारतीय उद्योग जगत बड़े उद्योगों के लिए भी ऐसी रियायत की उम्मीद कर रहा था। उन्होंने कहा कि बजट में कृषि क्षेत्र को 10 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिए जाने का सुझाव तथा कृषि उत्पादों को बाजार में बेहतर मूल्य दिलाने के लिए उठाए गए कदमों से कृषि क्षेत्र को नई उर्जा मिलेगी।
एसोचैम अध्यक्ष ने कहा कि ठेके पर खेती संबन्धी माडल कानून तथा एपीएमसी को आसान करने के लिए राज्यों की भूमिका बढ़ाया जाना, कृषि क्षेत्र के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। कनोरिया ने कहा कि विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को खत्म किए जाने से विदेशी निवेशकों के पास अच्छा संदेश जाएगा और वे भारत में ईज आफ डूइंग बिजनेस की स्थितियों में सुधार के प्रति आशान्वित होंगे। एसोचैम अध्यक्ष ने कहा कि जहां तक काले धन के खिलाफ जंग का सवाल है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेतली ने राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने की दिशा में मजबूत पहल की है। राजनीतिक पार्टियों को अधिकतम दो हजार रुपए ही नकद चंदा लेने की शर्त लगाकर काले धन के खिलाफ ठोस पहल की गयी है। अगर इसे लागू किया गया तो राजनीतिक सुधार के अन्य कदमों को भी जनता का सहयोग मिलेगा।