डब्ल्यूएचओ ने हैजा के बढ़ते प्रकोप पर गंभीर चिंता जताई

नयी दिल्ली,  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कई देशों में हैजा के तेजी से फैलते प्रकोप पर गंभीर चिंता जताई है और इसके खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 8 महीनों के दौरान 31 देशों में हैजा से मरने वालों की संख्या लगभग 5 हजार हो चुकी है।

वैश्विक जन स्वास्थ्य निकाय ने अपने एक बयान में कहा है कि हैजा के बढ़ते मामले गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं जो दुनियाभर के देशों की स्वास्थ्य सुरक्षा को कमजोर करने का खतरा पैदा करती है। हैजा के बढ़ते वैश्विक प्रकोप ने उन देशों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है जो गरीबी और अन्य संकटों से जूझ रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र निकाय ने अपनी नवीनतम स्वास्थ्य रिपोर्ट में बताया है कि 1 जनवरी से 17 अगस्त, 2025 के बीच 31 देशों में हैजा के 409,000 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 4,738 लोगों की मृत्यु हो गई। छह देशों में मृत्यु दर 1 प्रतिशत से अधिक बताई गई है, जो स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्टें हैजा बढ़ोतरी का चिंताजनक रुझान दर्शाती हैं। अकेले 2023 में 45 देशों में 535,321 मामले और 4,007 मौतें दर्ज की गईं। हैजा के बोझ को सबसे ज्यादा पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र ने झेला है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि अफ्रीकी क्षेत्र में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में हैजा के मामलों में वृद्धि के लिए जिन कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है, उनमें सशस्त्र संघर्ष, जनसंख्या का बड़े पैमाने पर विस्थापन, प्राकृतिक आपदाएं और जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभाव प्रमुख हैं। इन कारकों ने ग्रामीण क्षेत्रों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में इस बीमारी के प्रसार में अधिकतम भूमिका निभाई है। ग्रामीण और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में यह इसलिए तेजी से फैलती है क्योंकि वहां बुनियादी ढ़ांचा कमजोर है और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच बेहद सीमित है।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट स्थिति को भयावह बनाने से रोकने के लिए एक तत्काल और बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत पर बल देता है। संगठन का मानना है कि मौजूदा हैजा संकट का समाधान सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और स्वास्थ्य-व्यवस्था तक दीर्घकालिक पहुंच को सुनिश्चित करने में निहित है। ये उपाय जलजनित रोगों को फैलने से रोक सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संस्था ने अपने बयान में चेतावनी जारी की है कि राष्ट्रों के भीतर और बाहर जोखिम खतरनाक रूप से बढ़ा हुआ है। इसको रोकने के लिए अगर तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो स्थिति के भयंकर परिणाम भुगतने को तैयार रहने पड़ेंगे।
डब्ल्यूएचओ हैजा के प्रसार को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन निगरानी प्रणालियों को मज़बूत करने, केस प्रबंधन प्रोटोकॉल को बेहतर बनाने और जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य (डब्ल्यूएएसएच) हस्तक्षेपों को बढ़ाने की सिफारिश करता है। लक्षित टीकाकरण अभियानों को लागू करना और जन स्वास्थ्य के लिए सीमा पार समन्वय को मजबूत करना भी इस बीमारी से निपटने के महत्वपूर्ण उपाय हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार ये कदम वर्तमान प्रकोप और भविष्य में इसके फिर से उभरने दोनों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
हैजा एक दस्त रोग है जो विब्रियो कोलेरा नामक जीवाणु के कारण होता है। स्वच्छ जल, साफ-सुथरा वातावरण इस रोग की रोकथाम की आधारशिला हैं। यह रोग आमतौर पर हल्के या मध्यम दस्त के रूप में प्रकट होता है, जिसका उपचार ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) से किया जा सकता है। लेकिन अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो इससे यह गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकता है और मौत भी आ सकती है। गंभीर लक्षणों वाले लोगों के लिए जीवित रहने के लिए एंटीबायोटिक्स और ओआरएस आवश्यक हैं।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हैजा के बढ़ते प्रकोप से होने वाली हानि को रोकने के लिए प्राकृतिक आपदाओं या संकटग्रस्त क्षेत्रों में जल और स्वच्छता के बुनियादी ढ़ांचों को निरंतर सुधारने की आवश्यकता है।

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