नई दिल्ली, डीएवीपी की नई नीति के विरोध में आज देश के दर्जन भर राज्यों के प्रकाशक दिल्ली पहुंचकर एकजुट हुए और इस मुहिम को सड़कों पर व न्यायालय में लड़ने का ऐलान किया। सभी ने एकजुट होकर राय बनाई कि जब तक नई विज्ञापन नीति में लघु व मझौले समाचार पत्रों को न्याय नहीं मिलता यह लड़ाई जारी रहेगी। नई विज्ञापन नीति छोटे अखबारों को खत्म कर बड़े औद्योगिक घरानों व कम्पिनयों के अखबारों को फायदा पहुंचाने की साजिश है, जिसे किसी भी तरह लागू नहीं होने देंगे। मीटिंग में इस विज्ञापन नीति के विरूद्ध सड़कों व न्यायालय में दोनों फ्रंटों पर लड़ने का फैसला लिया गया तथा आगामी 08 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की।
दूसरी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से मिलकर इस नीति से अवगत कराते हुए न्यायिक लडाई के लिए परामर्श लेने का फैसला किया गया, साथ ही बड़े वकीलों के द्वारा विज्ञापन नीति पर स्टे लेने के लिए कार्ययोजना को अंजाम देने का फैसला लिया। दिल्ली में बड़े धरने से पूर्व चुनाव प्रस्तावित राज्यों में भाजपा नेताओं को घेरने व प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराने का आव्हान किया। प्रकाशकों की इस मीटिंग में लोक सभा संासद व सदन में शिव सेना के उप नेता चंद्र कांत खैरे उनसे मिले तथा नई विज्ञापन के बारे में लघु व मझौले अखबारों के प्रति सरकार के रवैये की जानकारी ली और कहा कि अगर छोटे अखबार के प्रति ऐसी नीति लाई गई है तो वह वाकई गलत है। उन्होने लोकसभा में नियम 377 के तहत इस मामले को उठाने के लिए लोकसभा सचिवालय को तुरन्त जानकारी भेजने के निर्देश दिए। मीटिंग को इन्द्रप्रस्थ प्रेस क्लब के अध्यक्ष नरेन्द्र भंडारी, ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन के महासचिव अशोक कुमार नवरत्न, डेली वीकली न्यूजपेपर्स एसो. के अध्यक्ष अनिल शर्मा, गौतम जैन (दै. मरूलहर), विनोद सरोगी (राष्ट्रीय खबर), अब्दुल माजिद निजामी (हिन्द न्यूज), मौ. मुस्तकीम खान (सियासी तकदीर), विष्णु पुरोहित (द कंट्री टाइम्स), वसीउद्दीन सिद्दकी (सालार-ए-हिन्द), अर्जुन जैन (सिंह की आवाज), राकेश चौहान (चौगामा की आवाज), अनुज मुदगल (मुदगल टाइम्स), पवन सहयोगी (दै. रोजाना), जे. के. मिश्रा (मैट्रो हेडलाइन) सत्येद्र तिवारी (प्रोम्पट टाइम्स), अजय मेहरा (हिन्दुस्तान दर्पण), सरिता पांडे (राजधानी दिपेश), संजय शर्मा (एनसीआर टूडे) आदि ने सम्बोधित किया। इस मीटिंग में दिल्ली सहित राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, झारखण्ड व बिहार आदि राज्यों से प्रकाशक पहुंचे तथा विज्ञापन नीति के विरोध में इस मुहिम को मजबूत किया। सभी प्रकाशकों ने देशभर में इस मुहिम को चलाने का निर्णय लिया।