नई दिल्ली, केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने डॉ. अंबेडकर के केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के संस्थापकों में शामिल होने को देखते हुए उनकी याद में जल के विविध आयामों पर एक वृहद कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है।संविधान निर्माता एवं दलितों के मसीहा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते रूझान को आगे बढ़ाते हुए उमा भारती ने कहाकि राष्ट्रीय जल आयोग की स्थापना में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की अहम भूमिका थी। इसे देखते हुए जल संसाधन मंत्रालय ने एक वृहद कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है। यह कार्यक्रम 14 अप्रैल के बाद आयोजित किया जाएगा।
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि बाबा साहब 1945 में राष्ट्रीय जल आयोग की मूल संस्था केंद्रीय जलमार्ग, सिंचाई एवं नौवहन आयोग के संस्थापकों में शामिल थे। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि बाबा साहब केंद्रीय जल आयोग के मूल संस्थापकों में शामिल थे, ऐसे में उनकी 125वीं जयंती के उपलक्ष में मंत्रालय ने जल के विविध आयामों पर एक वृहद कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि जल का वंचित वर्गो के विशेष संबंध रहा है। समाज के वंचित वर्गों एवं दलितों को जमीन पट्टे पर मुहैया कराया जा सकता है लेकिन उनके लिए पीने के पानी एवं खेतों की सिंचाई का प्रबंध नहीं हो पाता है। ऐसे में कमजोर वर्गों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनका मंत्रालय कमजोर वर्गों के लोगों को पेयजल मुहैया कराने की दिशा में भी काम करेगा। इसके साथ ही केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय 4 से 8 अप्रैल तक चतुर्थ भारत जल सप्ताह आयोजित करेगा।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बताया कि जल संरक्षण, भूजल स्तर के विविध आयामों, सिंचाई प्रबंधन समेत जल से जुड़े कई विषयों पर चर्चा की जायेगी। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस कार्यक्रम में देश और विदेश के 1500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे जिसमें इजराइल, हंगरी, आस्ट्रेलिया, चीन आदि देशों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। जल संसाधान मंत्रालय, इजराइल तथा देश के पांच राज्यों के साथ इस कार्यक्रम को आयोजित करेगा जिनमें गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना शामिल है। इस कार्यक्रम के उद्घाटन वित्त मंत्री अरुण जेटली और जल संसाधन मंत्री उमा भारती करेंगी और इस कार्यक्रम का समापण राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी करेंगे। उमा ने कहा, हमारा मकसद जल, नदियों, तालाबों आदि के बारे में लोगों की सोच में बदलाव लाना है। इस कार्यक्रम में काफी संख्या में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, संगठन, शोध एवं शैक्षणिक संस्थान शामिल होंगे और इस दौरान कृषि एवं उर्जा क्षेत्र में अपनाये जा रहे सर्वश्रेष्ठ पहल को सामने रखा जायेगा।