मुंबई ,बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि उसने समाज सुधारकों डॉ बाबासाहेब अंबेडकर और ज्योतिबा फुले की मूल हस्तलिखित पांडुलिपियों को संरक्षित के लिए क्या कदम उठाए हैं और वह हलफनाम दायर कर अदालत को इसके बारे अवगत कराए।
न्यायाधीश पीबी वराले और न्यायमूर्ति एस डी कुलकर्णी की खंडपीठ ने मीडिया की रिपोर्ट के बाद दिसंबर 2021 में स्वत: संज्ञान लेने वाली एक याचिका के जवाब में निर्देश दिया था कि महाराष्ट्र सरकार ने अंबेडकर के साहित्य को प्रकाशित करने की अपनी परियोजना को रोक दिया था।
इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय की मदद के लिए नियुक्त अधिवक्ता स्वराज जाधव ने अवगतर कराया कि डॉ अम्बेडकर और श्री फुले की अधिकांश मूल हस्तलिखित पांडुलिपियां दक्षिण मुंबई की एक पुरानी इमारत के एक छोटे कमरे में संग्रहित हैं। उन्होंने कहा कि मानसून की शुरुआत के साथ प्रबल संभावना है कि छोटे से कमरे में रखी हुई पांडुलिपियां खराब हो सकती हैं।
इस पर अदालत ने राज्य सरकार को एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकार पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रही है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद मुकर्रर की है।