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तरबूज की तरावट शरीर और मन करें प्रसन्न

तरबूज में नब्बे फीसदी पानी होता है, इसलिए गर्मी का मुकाबला करने के लिए इससे अच्छा कोई फल नहीं। शायद यही कारण है कि इसका जन्म अफ्रीका के गर्म इलाके  में हुआ। तरबूज पर काफी वैज्ञानिक अनुसंधान भी हुए हैं। गर्मी के झुलसते मौसम में तरबूज की तरावट शरीर और मन दोनों को प्रसन्न कर देती है।

तरबूज में विटामिन ए, बी, सी तथा लौहा भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिससे रक्त सुर्ख व शुद्ध होता है। तरबूज के सेवन से लू और गर्मी की खुश्की से शरीर की रक्षा होती है। देश के रेतीले रेगिस्तानी इलाके और नदियों के किनारों पर गर्मी के मौसम में तरबूज की फसल पटे दिखाई देती है, फिर भी तरबूज उगाने वाले प्रमुख देशों में भारत का नाम नहीं है। इसके फलों का भार लगभग डेढ-दो किलोग्राम तक होता है।

फलों के हल्के-पीले-हरे छिलके पर गाढी हरी धानियां होती हैं। इसका छिलका पतला है, इसलिए अंदर के लाल गूदे का मात्रा ज्यादा होती है। मध्यम आकार और भार वाले फलों की एक जापानी किस्म असाही योमामोतो भी भारत लाई गई है। इसे भारत में उगाने के नतीजे उत्साहजनक नहीं हैं। वैस इसका गूदा और सुर्ख लाल रंग का है।

पीलिया के रोगियों को तरबूज बहुत फायदा पहुंचाता है, क्योंकि यह शरीर में खून बढाता है और खून को साफ भी करता है। जिस वजह से यह चमडी के रोगियों में तरबूज का सेवन करनेसे लाभ होता है। मार्केट में तरबूज खरीदते समय ग्राहक भी इसी आधार पर पके फलों को चुन सकते हैं। इधर-उधर ले जाने में फलों को फटने से बचाने के लिए सलाह दी गई कि फलों कोबाग से दोपहर बाद तोडा जाए। तरबूज कफनाशक भी है, कहा जाता है कि तरबूज का नियमित सेवन उच्च रक्त-चाप को बढने से रोकता है।